धनबाद : पूरी फीस नहीं मिलने की वज़ह से 14 घंटे तक नवजात के शव बरटांड़ा स्थित एशियन द्वारिका दास जालान सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल में पड़ा रहा. बिना फीस दिए हॉस्पिटल प्रबंधन ने शव देने से इनकार कर दिया. हंगामा को देखते हुए स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची. परिजनो ने बताया कि इलाज के समय साढ़े आठ हजार रुपये फीस दीथी . बिल लगभग 14 हजार रुपये आ रहा था.
हॉस्पिटल में कुछ बिल माफ किये , लेकिन 13 सौ रुपये और मांगे गए. इसके बदा परिजनों ने 13 सौ में दो साइकिलें बची . इस फीस को देने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव परिजनों को सौंप दिया .जिसके बद बच्ची के शव को पिता संजय अपनी गोद में उठाकर ले गये . संजय का एक पांच साल का बेटा भी है.
5-5 सौ रुपए में 2 साइकिल बिक गई.
नटवारी निवसी संजय कुम्हार की पत्नी साधना देवो को प्रसव के लिए मेमको मोड़ स्थित सर्वमंगला नर्सिंग होम ले जाया गया . वहां 10 अकक्तूबर को सुबह दस बजे साधना का सीजर से प्रसव कराया गया. नवजात बच्ची की हालत नाजुक देखते हुए एशियन जालान अस्पताल के एनआइसीयू में बच्ची को भरती कराया गया. बच्ची को सांस लेने में परेशानी हो रही थी. बुधवार की रात 11.50 बजे बच्ची ने दम तोड़ दिया.इसके बद पूरी फीस नहीं देने कारण शव नहीं दिया गया. परिजनों का आरोप है कि अगर नवजात की स्तिति काफी खराब थी, तो डॉक्टर हमें बताते. हम बाहर जाकर इलाज करा लेते. अस्पताल प्रंबधन ने 13 सौ रुपये की मांग कर दी . इसके बाद गांव से दो परिजन साइकिल से यहां आये थे. उन्होनें बरटांड़ के पास साइकिल बचनी चाही, लेकन किसी ने नहीं खरीदी, इसके बाद कोरंगा बस्ती चले गए. वहां पांच-पाचं सौ रुपए में साइकिल बिक गई. इसके बाद 3 सौ रुपये अलग से जुगाड़ कर अस्पताल प्रबंधन को दिया गया .तब दोपहर एक बजे शव परिजन अपने साथ ले गये.
अस्पताल प्रबंधन ने कहा हमने , 30 से 40 फीसदी फीस माफ कर दी.
जीवन रेखा ट्रस्ट के सचिव राजीव शर्मा ने कहा कि नवजात के मामले में प्रबंधन के करीब 6600 सौ रुपए फीस माफ की है . परानी व्यवस्ता के तहत हम पांस से दस प्रतिशत ही गरीबों को फीस माफ करते थे ,लिसन नया व्यवस्था में 30 से 40 फीसदी फीस माफ कर रहे है .