नई दिल्ली : अपने चहेते अफसर को पिछले दरवाजे से सीबीआई के निदेशक पद पर एंट्री दिलवाने के चक्कर में पीएम मोदी फंस गए हैं. दरअसल हाल में सेवानिवृत्त हुए निदेशक के खाली हो रहे पद पर नई तैनाती के चलते सरकार ने चयन समिति की बैठक ही नहीं बुलाई. यही नहीं अपने चहेते अफसर को इस पद पर तैनात किये जाने के लिए प्रोन्नति देते हुए राकेश अस्थाना को अंतरिम निदेशक के पद पर तैनात कर दिया.
दिल्ली का कमीश्नर बनना चाहते थे अस्थाना
सूत्रों के मुताबिक 1984 बैच के गुजरात कॉडर के आईपीएस अफसर राकेश अस्थाना को पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात से दिल्ली का कमीश्नर बनाने को लेकर आये थे. लेकिन बाद में उनकी तैनाती सीबीआई में सयुंक्त निदेशक के पद पर कर दी गयी. यही नहीं 2 दिसंबर को उनको निदेशक अनिल सिन्हा के सेवानिवृत्त होने पर सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाते हुए निदेशक का कार्यभार सौंप दिया गया.
एनजीओ कॉमनकाज ने दायर की SC में याचिका
फिलहाल आईपीएस राकेश अस्थाना को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाए जाने को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में एनजीओ कॉमनकाज ने आरोप लगाया है कि अस्थाना को सीबीआई निदेशक बनाने के लिए केंद्र सरकार ने दुर्भावनापूर्ण, मनमाने और अवैध तरीके से एक के बाद एक कई कदम उठाए. इसमें दावा किया गया है कि सरकार ने चयन समिति की बैठक भी नहीं बुलाई.
दत्ता को क्यों भेजा गया गृहमंत्रालय ?
जबकि उसे पता था कि दो दिसंबर को अनिल सिन्हा निदेशक पद से रिटायर हो रहे हैं. समिति में प्रधानमंत्री, सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस होते हैं. याचिका में सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि सीबीआई निदेशक की दावेदारी में सबसे आगे रहे विशेष निदेशक आरके दत्ता को गृह मंत्रालय में विशेष सचिव के रूप में भेजने के बाद गुजरात कॉडर के 1984 बैच के अफसर अस्थाना काे दो दिसंबर को अतिरिक्त निदेशक बनाकर निदेशक का प्रभार दे दिया गया था.
मोदी सरकार पर उठने लगीं उंगुलियां
फिलहाल जनहित याचिका में दावा किया गया है कि सरकार ने सिन्हा के दो दिसंबर को रिटायर होने के दो दिन पूर्व दत्ता को कार्यकाल पूरा होने से पहले 30 नवंबर को गृह मंत्रालय भेज दिया. जिससे केंद्र की मोदी सरकार पर अब अपने चहेतों को मलाईदार पद पर बैठाने को लेकर उंगुलियां उठने लगीं हैं.