कोहिमा : राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) को पता चला है कि नागालैंड में लगभग 12 सरकारी विभाग ऐसे हैं जिनसे प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ़ नगालैंड खापलांग एनएससीएन-के लगातार पैसे वसूलता है। जबकि साल 2015 में मणिपुर में 18 सैनिकों की मौत के पीछे इसी संगठन का हाथ बताया जाता है।
अख़बार द हिन्दू के रिपोर्ट की माने तो हाल ही में एनएससीएन-के' के एक भगोड़े सदस्य ने फेसबुक पर एक फोटो पोस्ट की। जिसमे म्यांमार में भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी और एनएससीएन के सैन्य कमांडर निकी सुमी मुलाकात कर रहे हैं। इस कमांडर पर 10 लाख रूपये का ईनाम भी रखा गया है। यह तस्वीर साल पर 17 जनवरी को पोस्ट की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार यह मुलाकात लेह म्यांमार में हुई थी। हालांकि विदेश मामलों के अधिकारी का कहना है कि ''फोटो का मतलब मुलाकात नही है''।
NIA की जाँच में इस बात का पता चला है कि जबरन वसूली के पैसे दो संगठनों को दिए जाते हैं। इनका नाम NSCN-Isak-Muivah (NSCN-IM) और Naga National Council (NNC) है। NIA का कहना है कि अबतक इन संगठनों को 3 करोड़ से ज्यादा दिए जा चुके हैं। गौरतलब है कि साल 2015 में भारत सरकार ने NSCN-IM के साथ नागा मुद्दे पर एक समझौता भी किया था।
एक एनआईए अधिकारी का कहना है कि तलाशी के दौरान कुछ दस्तावेज बरामद किए जिसमें प्रतिबंधित नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड खापलांग गुट (एनएससीएन-के) समेत कई अन्य भूमिगत संगठनों में फंड ट्रांसफर किया गया है। एनएससीएन-के आतंकवादी के सुमी को पिछले साल जुलाई में दीमापुर में असम राईफल्स ने गिरफ्तार कर लिया था। सुमी से पूछताछ के दौरान पता चला कि कोहिमा और दीमापुर इलाकों के लिए वही फाइनेंस इंचार्ज है और उसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी सरकारी विभागों से अवैध रूप से कर वसूलना है।
NIA ने कोहिमा के कई सरकारी कार्यालयों में एनआईए की टीमों ने तलाशी ली। इस तलाशी के दौरान प्रतिबंधित एनएससीएन-के समेत कई भूमिगत संगठनों को विभन्न सरकारी विभागों से ट्रांसफर किए गए फंड के दस्तावेज बरामद किए गए।