: लखनऊ:, 11 मार्च 2017 का दिन उत्तर प्रदेश के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जायेगा जब भाजपा के कट्टर विरोधी मानी जाने वाली समस्त पार्टीयो के घरों में मातम सा माहौल छा गया।रातो रात कार्यकर्ताओ और पार्टीयो के चाटुकारों के वाहनों पर लगे पार्टी के झंडे उतार लिए गये और भाजपा विरोधियो ने अपने को घर में रहना ही बेहतर समझा। विरोधियो की हार ने इस बात को प्रमाणित कर दिया कि बसपा अहम् में और गठबंधन वहम में मारा गया।
कांग्रेस और बसपा हार से इतनी मायूस हो गई की शपथ ग्रहण समारोह में भी विजयी भाजपा या उनके मुख्य मंत्री और मंत्रियो को बधाई देने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाई। वास्तव में कांग्रेस और बसपा हार के बाद अपने को मुँह दिखाने लायक भी नहीं समझ पा रहे है।
राजनीति के क्षेत्र में तथा मतदाताओं की नज़र में समाजवादी पार्टी का शपथ मंच पर पहुँचने की एक ओर जहां प्रशंसा की गई वही कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी की कड़े शब्दों में आलोचना भी की गई । माना जा रहा है की क्षमा मांगने पहुँचे थे मुलायम संग अखिलेश यादव् i कुछ भी हो पर यह तो मानना पड़ेगा की अखिलेश और राहुल का गठबंधन तोड़ने और पिता पुत्र को वापस मिलाने में योगी ही काम आये।
वास्तव में कांग्रेस और बहुजन समाजवादी पार्टी ने कभी जमीन से जुड़कर राजनीति नहीं की। "ड्राइंग रूम" से चुनावी रणनीति बनाकर चुनाव लड़ने वाली पार्टिया का इन चुनाओ में हारना निश्चित था।