नई दिल्ली : नोटबंदी के कारण आम लोगों के अलावा अगर किसी को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो वह बैंक कर्मचारी हैं। कैश न मिलने के कारण कई बार बैंको के कर्मचारी लोगों के गुस्से के शिकार भी बन जाते हैं। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैंककर्मियों की तारीफ की थी लेकिन अब बैंक कर्मचारियों का सब्र भी जवाब देने लगा है।
'ऑल इंडिया बैंक इम्प्लॉइज एसोसिएशन' (एआईबीईए) ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर आरबीआई के जरिए नोटों की स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। एसोसिएशन का कहना है कि वह लोगों के गुस्से का सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं जबकि बैंकों में नोट ऊपर से ही कम आ रहे हैं। खबर यह भी आ रही है कि आरबीआई सरकारी बैंकों से ज्यादा नोटों की सप्लाई निजी बैंकों के लिए कर रहा है।
बैंक कर्मयों की शिकायत है कि नोटबंदी के 24 दिन बाद भी 2000 और 500 के नोटों की स्थिति साफ़ नही हो पायी है। कैश न मिलने पर अब बैंकों में तोड़फोड़ और मारपीट जैसी घटनाएं भी बढ़ने लगी हैं। सैलरी डे के पहले ही दिन दिल्ली पुलिस के पास 400 से ज्यादा कॉल इस सम्बन्ध में प्राप्त हुई।
ऐसा भी नहीं है कि नोटबंदी के बाद बैंक कर्मचारियों का योगदान समर्पण वाला ही रहा कई ऐसे बैंक कर्मचारी भी थे जिन्होंने बैंकों में नोट बदलवाने के लिए कमीशनखोरी का रास्ता अपनाया। वित्त मंत्रालय के कर्मचारियों ने ऐसे 27 बैंककर्मियों का सस्पेंड भी किया है जबकि 6 का तबादला किया है।