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बे हद

28 दिसम्बर 2022

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रचनाएँ
आधा तुम मुझमें हो
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'आधा तुम मुझमें हो',यह मेरी छठवीं कविता संग्रह है।यह शब्द इन प्लेटफार्म पर प्रकाशित हो रही है।इसके पहले काव्य‌ वाटिका,मन की कोठरी से,मन की गठरी तथा तुम्हीं से शुरु,शब्द इन पर तथा शब्द कलश योर कोट्स से प्रकाशित हो चुकी है।इस नवीन काव्यसंग्रह में 50कविताओं का संग्रह है। 'आधा तुम मुझमें हो' में रचनाएं वह हैं जिसे मन के अंदर महसूस किया गया है‌।इन रचनाओं का शिल्प कुछ अलग हटकर सामान्य चलते फिरते रुप में मौजुद है।इन रचनाओं में मानस नायिका पर केन्द्रित मेरी इस रचना में किसी विशेष को लक्ष्य नहीं किया गया है।अगर कोई पात्र मिलता है तब यह मात्र संयोग होगा। आधा तुम मुझमें हो,में नायिका से प्रेम, लगाव,चाहत, परवाह तथा बेहतरी की चिंता लक्षित है।इच्छाएं उसकी बेहतरीन तथा सुखी जीवन को लेकर चिंतित हैं। आशा है कि यह रचना संग्रह आपको रुचिकर लगे। ‌‌-ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर।
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उसने.. सस्ता समझा

22 दिसम्बर 2022
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मैं-मिलता रहा,उसे!आसानी से,इसीलिए-शायद!उसने मुझे-सस्ता समझा।-© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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रुह के अन्दर

23 दिसम्बर 2022
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मैं-बावला,ढुंढ़ रहा,तुमको!दर-ब-दर।मिलो-कहां से तुम!मुझको,जब-आ छिपी हो,मेरे रुह के अन्दर।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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लत

24 दिसम्बर 2022
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तेरी-लत का, नशा!ऐसा हुआ;कि, मैं-सरे राह,सरेआम!!बदनाम हो गया।© ओंकार नाथ त्रिपाठी, अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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प्रेम

25 दिसम्बर 2022
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यह-प्रतिक्षण बढ़ता,तेरे प्रति लगाव!एक विशुद्ध,प्रेम ही है,वासना नहीं।क्योंकि-सतत,प्रतिक्षण!बढ़ते रहना-लगाव ही,प्रेम होता है,वासना तो,लगातार-घटती रहती है।-© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर

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समुन्दर था ....

26 दिसम्बर 2022
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कभी-मैं भी,समुन्दर था,तेरी पसन्द का।जिसमें,तुम-अक्सर,डूब जाया करती थी।अब-दरिया के,दो किनारे,बन कर रह गये।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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अच्छी बात नहीं

27 दिसम्बर 2022
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तुम-मुझे मिली,या नहीं,मिली;यह तो-किस्मत की बात है।लेकिन-मैं प्रयास,नहीं करता, तो-यह अच्छी बात नहीं।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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बे हद

28 दिसम्बर 2022
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यूं तो-सभी चीजें,अपने हद में, अच्छी लगती हैं।लेकिन-एक तुम हो,बे-हद-अच्छी लगती हो।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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आंसू

29 दिसम्बर 2022
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जब-तेरी याद के,तपन की गर्मी से,मेरे-अन्दर की बर्फ,पिघलती है;तब-वह आंखों से,ढ़ल कर,आंसू बन जाती है।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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दर्द!

30 दिसम्बर 2022
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दर्द!बेवफ़ाई का,आवाज-छिन ली है।तनहाई में,यह खामोशी!बेवजह-थोड़े ही है।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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नींद

31 दिसम्बर 2022
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दिन भर-ईमानदारी से,जीने के बाद भी,रात को-गहरी नींद,नहीं आयी,क्योंकि-तुम नहीं आयी।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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आधा छोड़ गयी मुझमें

1 जनवरी 2023
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तुम्हें-उसके! पास,जाने की-इतनी, जल्दी रही,कि-जाते वक्त,खुद को,आधा!!छोड़ गयी-मुझमें।-© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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मिठाई के आगे

2 जनवरी 2023
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मैं-करेला लगता हूं,उस-मिठाई के आगे।लेकिन-जीवन में,करेला!दवाई,तथा-मिठाई!! जहर बन जाता है।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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तो क्या हुआ!

3 जनवरी 2023
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मैंने-तुम्हें!महंगी गाड़ी से,नहीं घुमाया,तो क्या हुआ,लेकिन- तुम्हें प्यार,परवाह, तथा-सम्मान जैसा,उपहार दिया है,तेरी अच्छी-परवरिश करके।-ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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कितना दूर

4 जनवरी 2023
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मैं-तुमसे दूर,कहां तक,जा सकुंगा?जब तुम-मौजुद हो,मेरी हर-दास्तान में।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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आंखें नम होंगी

5 जनवरी 2023
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नज़र अंदाज़!कर ले,मुझे!भले ही आज, तुम!! उसे पाकर।किसी न किसी,दिन-याद आऊंगा,तुम्हें -आंखें नम होंगी,तेरी-शायद मेरे,पागलपन की, हद!सोच-सोच कर।मेरी!कितनी-चाहत रहती तुम्हें!लेकर।© ओंकार

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अमानत

6 जनवरी 2023
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तुम-एक ख्वाब!और-खुद की,अमानत हो,मेरे पास।मैं-तुम्हें ताउम्र,संभाले हुए-रखुंगा।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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शब्द को स्पर्श करें

7 जनवरी 2023
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चलो-एक बार,शब्द! को,स्पर्श करें।देखते हैं-उन्हें!हम, महसूस होते हैं,कि, नहीं!!बार बार-ये, हमें ही छूते हैं,और, हम ही-इन्हें, समझते हैं।-© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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दूर दूर तक हो

9 जनवरी 2023
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याद-आते हैं, वो दिन!जब- तुम पास, नहीं थी,पर तुम-मेरे साथ, और-मैं तेरे, पास था।अब-तुम मेरे, पास तो हो,लेकिन -मेरे- साथ नहीं ।अब-वो दूरियां,तो नहीं, हमारे बीच,&nb

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आहिस्ता आहिस्ता

10 जनवरी 2023
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सूरज!ढलान पर है,शाम!उदास है,ऐसा-लग रहा,जैसे, दिन!धीरे-धीरे,भूल रहा,शाम को।वैसे ही-जैसे कोई,अपना!!भूल रहा है,आहिस्ता-आहिस्ता,मुझको।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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बगिया महकती थी

11 जनवरी 2023
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बेटी!जब तक-घर में थी,उसकी,शादी की,चिंता!खाये जा रही थी।जब-शादी के बाद,चली गयी,घर!सूना सूना सा,काटने को,दौड़ रहा।क्योंकि- वो नहीं है,जिस-कली से,घर की बगिया,महकती थी।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर ब

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सिहर जाता हूं

12 जनवरी 2023
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मैं तो-तेरी आंखों के,जंगल में-भटका यात्री हूं।यूं अचानक-न गुजरा कर पास सेतेरे पदचाप से-सिहर जाता हूं।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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दोस्ती की जाये

13 जनवरी 2023
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क्यों न?घास बनकर,एक दुसरे से,दोस्ती की जाये।पेड़ बनकर,अकेले!ही रहने से,क्या फायदा?© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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रिश्तों में

14 जनवरी 2023
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मैं आदतन!घुल जाता रहा,रिश्तों में-चीनी की तरह।मुझे!अब समझ आया,लोग तो-सुगर फ्री हो रहे।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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निर्गुण

15 जनवरी 2023
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मेरी-तमाम नीदें!गिरवी रहीं,जिसकी यादों में‌।वही आज!मैसेज में,निर्गुण!!गाने भेजती है।-© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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हिंचकी ! आयेगी

16 जनवरी 2023
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तुम-मुझको!याद-करेगी या नहीं?मुझे-नहीं मालूम। लेकिन-यह जरूर होगा,जब!मैं, याद करुंगा,तब, तुम्हें- इतनी-हिंचकी! आयेगी,कि,तुम-सभी!!नदियों का पानी,पी कर भी-नहीं रोक पाओगी,अपनी-हिंचकियों को।© ओंका

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नमी

19 जनवरी 2023
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हंसते-होठों पर मत जा,नमी!आंखों की देखो ना।कहने को तो सब-ठीक ठाक है,तुम पास नहीं हो,यह समझो ना।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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दीवाना

19 जनवरी 2023
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एक-आदत सी बन गयी है,तुम्हें! हरपल याद करने की।तुम!कह सकती हो पागलपन,पर लोग!!मुझे दीवाना कहते हैं।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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मुलाकात

20 जनवरी 2023
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पहली-मुलाकात में ही,तुम-घुल गयी मुझमें,कैसे-करुं दूर तुमको,अब-खुद को तुमसे।-़© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर‌‌‌

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अनुबंध नई

21 जनवरी 2023
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अब तो-भूल रहे, सब-संगी साथी;छोड़ रहे-नित,रिश्ते नाते, जब से!पा ली है तुमने,अभी-अभी!!अनुबंध नयी,सच मानो!तबसे तुम तो, तोड़ चुकी हो-संबंध कई।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर

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बाबुल के घर से

23 जनवरी 2023
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महावर!लगे पांव,चावल के दानों को,उछाल कर,जब-विदा हुई घर से,बेटी!बहू का रुप धरे‌।तब-छोड़ गयी,घर की-दिवारों पर,अपनी-लिखी हुई नाम।आलमारी!उसमें- तह की हुई,तरह तरह की रुमालें,करीने से रखीं,किताबें!दिवा

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यादें

24 जनवरी 2023
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तुमसे, क्या- कहूं?तेरी‌ यादें!धीरे धीरे-बुढ़ी! होने के बजाय,अब!जवान हो रही हैं‌। © ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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तुम भी....

26 जनवरी 2023
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एक दिन-तुम भी!आओगी,मनाने को‌।जब-आजमा लोगी,तुम, इस-जमाने को।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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दिसंबर

27 जनवरी 2023
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आईना-दिखाकर हम को,चला गया,दिसम्बर।चलो-जनवरी के संग,सजा लें-सपनों का अंबर।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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आसक्ति का जुनून

28 जनवरी 2023
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मैंने तो,तेरे!चौबीस,घंटो में से;सिर्फ-दो-चार,मिनट की ही,चाहत की थी;लेकिन-तुम्हें!यह भी-गंवारा न हुआ। जहां- तुम!खर्चती रही,घंटे दर घंटे;वहीं-कुछ मिनट!दें देती,मेरे हिस्से में;तब-मेरी!वफाओं को

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चाभी के गुच्छों ने

30 जनवरी 2023
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हर-पग पर,तान छेड़,पायल के,घुघुरूओंने!पांव को चुमकर,साथ हो- चल दिये‌।लटकन भी-जिद कर!कान से- लटक गयी।सोने की चेन,तब- गले से,लिपट पड़ी।मांग का-टीका!इतरा कर,सिर चढ़ा।बेचारी!बिछुआ तो,पांव की

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बे वफ़ा नहीं

31 जनवरी 2023
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मैं-बे वफ़ा नहीं,इसका-साबुत है,जब तुम,जाने लगी,तब मैं-तुम्हें रोका नहीं,इससे बड़ा-वफ़ा का साबुत,और-क्या हो सकता है?-ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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अहसास

1 फरवरी 2023
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शायद?तुम्हें पता नहीं,तेरा-अहसास!हर वक्त है,मेरे साथ। भले ही रहो,तुम-मुझसे, दूर से भी,दूर! या- पास से भी,पास!© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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खुशीयां

4 फरवरी 2023
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मेरी-खुशीयां!सर्वथा- तुम हो।हालांकि-ये खुशीयां,परायी-होती रहती हैं,इसे-अब तक,बांटा जाता,रहा है,लोगों में।मुझे तो-सिर्फ!तुम चाहिए,तेरा शरीर नहीं।क्योंकि-शरीर तो,बाजार में भी,मिल जाती है।बिन तेरे-द

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डर

6 फरवरी 2023
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कहीं-खो न दूं,तुम्हें-यह डर!मुझे -सताता रहता है।कहो तो-एक बात!पूछूं?क्या तुम्हें भी,मुझे-खो जाने काडर!सताता है कभी?© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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नज़र

7 फरवरी 2023
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हमारी-नजदीकियों को,किसी की-नज़र लग गयी,तभी तो-इतने पास आकर,बिछड़ रहे हम-दिसम्बर,और-जनवरी की तरह।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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किसी न किसी दिन...

8 फरवरी 2023
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नज़र अंदाज़!कर ले,मुझे!भले ही आज, तुम!! उसे पाकर।किसी न किसी,दिन-याद आऊंगा,तुम्हें -आंखें नम होंगी,तेरी-शायद मेरे,पागलपन की, हद!सोच-सोच कर।मेरी!कितनी-चाहत रहती तुम्हें!लेकर।© ओंकार

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मन की पीड़ा

9 फरवरी 2023
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तेरी-ये खामोशी!और-चेहरे पर फैली,उदासी की परतें,देखो-बयान कर रही हैं,उसके!जाने के बाद,तेरे!मन की पीड़ा को।ठीक-उसी तरह,जैसे-दिसम्बर से,अलग होते ही,जनवरी!सिहर उठती है,सर्द हवाओं,तथा-ओस के क़तरों से।© ओंक

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सपनों के...

10 फरवरी 2023
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ये मेरे,जो- अल्फाज!आप तक,पहुंचे हैं,वो सब-टूटे हुए,सपनों के- टुकड़ों को,जोड़कर बने हैं।-© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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इंतजार के इम्तहान में

12 फरवरी 2023
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तमन्ना-जाग रही है,फल़क के!सितारे गवाह हैं।तेरे-आरज़ू में,बीते पल सारे,इंतजार केइम्तिहान में।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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मेरे हमराही

12 फरवरी 2023
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हे! मेरे हमराही, आज-फिर तुम,मुझको- साथ ले ले,इस-नये वर्ष में,मुझको!तुम- वही पुराना, साथ दे दे।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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तुममें,तुम ही तुम...

13 फरवरी 2023
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मैंने-देखा, तुममें!तुम ही तुम,और-तेरी, नकचढ़ी-नफ़ासत!मैं,तो-कहीं, दिखा ही नहीं।लेकिन -मैं तो!जपता रहा,तुमको ही,तेरी-परवाह किये,करता रहा,इंतज़ार!बेइंतहा!प्यार!! और यादें!!बाकी-कुछ भी नहीं।© ओंकार नाथ त

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किताब

14 फरवरी 2023
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तुम-भले ही,एक-खुली किताब हो!लेकिन-तुम्हें पढ़ सकना,हर किसी के-वश की बात नहीं।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र

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उर्वशी

15 फरवरी 2023
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अंततः-पुरुवा ने,पूछ ही लिया,बता सुन्दरी!आखिर-तुम हो कौन?पृथ्वी पुत्र के,इस आग्रह पर,अप्सरा!बोल पड़ी-धूप में-पसीना छुड़ा देने,तथा-ठंड में, कंपकंपा देने वालेहे पूरुवा!क्या करोगे जानकर?मुझे!न त

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वजूद

16 फरवरी 2023
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तुम्हें-याद करना,मेरी-आदत बन चुकी है।अब-जीते जी छुटना,यह तो-मुश्किल लगता है।और, हां-जिस दिन तुम्हें,याद न करुं!तब-समझ लेना कि-मेरा वजूद नही है।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।

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उपहार

18 फरवरी 2023
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मैंने-अपना प्रेम देकर,जो उपहार !दिया है,उसे-पाकर तुमने,उसका-सम्मान नहीं की।© ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर उप्र।--------------------------------------------------

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