'आधा तुम मुझमें हो',यह मेरी छठवीं कविता संग्रह है।यह शब्द इन प्लेटफार्म पर प्रकाशित हो रही है।इसके पहले काव्य वाटिका,मन की कोठरी से,मन की गठरी तथा तुम्हीं से शुरु,शब्द इन पर तथा शब्द कलश योर कोट्स से प्रकाशित हो चुकी है।इस नवीन काव्यसंग्रह में 50कविताओं का संग्रह है।
'आधा तुम मुझमें हो' में रचनाएं वह हैं जिसे मन के अंदर महसूस किया गया है।इन रचनाओं का शिल्प कुछ अलग हटकर सामान्य चलते फिरते रुप में मौजुद है।इन रचनाओं में मानस नायिका पर केन्द्रित मेरी इस रचना में किसी विशेष को लक्ष्य नहीं किया गया है।अगर कोई पात्र मिलता है तब यह मात्र संयोग होगा।
आधा तुम मुझमें हो,में नायिका से प्रेम, लगाव,चाहत, परवाह तथा बेहतरी की चिंता लक्षित है।इच्छाएं उसकी बेहतरीन तथा सुखी जीवन को लेकर चिंतित हैं।
आशा है कि यह रचना संग्रह आपको रुचिकर लगे।
-ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर।