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भगवत् गीता

30 सितम्बर 2019

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युग संधि का शंखनाद् गुँजायमान्

गुँजायमान्

अष्ट पाश पर आरुड़ शक्तिमान्


🔯 श्रीमद्भागवद्गीता 🔯

🌹🌹🌹🌹🌹


*प्रथम अध्याय *

*************


देख अचंभित धृतराष्ट्र हुआ ,

कहे दिव्यद्रष्टा संजय से ।

क्या हुआ पाण्डु पुत्र और,

पुत्रों के हित आज सभय से ।।1।।


**संजय बोले*


संजय बोल रहे हे राजन ,

दुर्योधन देख रहा सेना ।

जाकर कहे द्रोणाचार्य से ,

गढ़े व्यूह ये रचना देना ।।2।।

गुरुवर श्रेष्ठ शिष्य द्रुपद पुत्र ,

एक विशालकाय सेना रची ।

देख व्युह रचना चिंतित हुए ,

उनके चैन तनिक भी न बची।।3।।


सामने उपस्थित सम्मुख है ,

सेना सहित अर्जुन युयुधान ।

राजा विराट् व राजा द्रुपद,

महाबली योद्घा बलवान ।।4।।


और खड़े दिखते सैनिक गण,

धृष्टकेतु राजा चेकितान ।

कुन्तिभोज हैं श्रेष्ठ शैवगण ,

पुरुजित्, काशीराज बलवान ।।5।।


संजय बोल रहें धृतराष्ट्र से,

उत्तमौजा अभिमन्यु उत्सुक ।

विंध्यादिक पुत्र द्रौपदी के,

पराक्रमी युधामन्यु बाहुक ।।6।।

****

अपने सैनिक समूह की अब ,

वीर सैनिक जो अपने खड़े ।

नामावली बताऊँ उनका,

बड़े शूरपति अड़े पड़े ।।7।।


सेना में हैं युद्ध विशारद ,

द्रोण भीष्म गुरुवर कृपाचार्य ।

सोमसुत भूरिश्रवा विकर्णा ,

अश्वत्थामा कर्ण हे आर्य ।।8।।

सभी वीर सैनिक है त्यागी

उत्साही खड़े अपनी ओर ।

अस्त्र-शस्त्र सुशोभित संयुत ,

हैं जोश भरते देते जोर ।।9।।

सबसे पहले ये बता दूँ आपको,

भीष्म सबसे हैं शक्तिशाली ।

उनकी रक्षा करनी आवश्यक ,

भीम भी हुए हैं बलशाली।।10-11।।


🎆. श्रीमद्भगवद्गीता 🎆

अध्याय 1

सिंहनाद कर भीष्म पितामह ,

ने अनुगुंजित शंख बजाया।

शंख बजाकर देखो कैसे ,

दुर्योधन का हर्ष बढ़ाया ।12।।

शंखध्वनि बजते ही गोमुख

रणभेरी पणवानक, बजते ।

सारे बाजे एक साथ मिल

नभ में नाद भयंकर करते।13।।

युक्त श्वेतवर्णी अश्वोंसे

रथ पर कृष्ण सारथी बैठे।

अर्जुन खड़े साथ में पीछे

शंख बजा पुरुषार्थी बैठे।।14।।


पांचजन्य श्रीकृष्ण बजाते

देवदत्त अर्जुन के कर में ।

भीम भयंकर ने भी फूँका

पौण्ड्र शंख रव भीषण स्वर में ।।


कुन्तीपुत्र युधिष्ठिर ने भी

शंख अनन्तविजय गुंजारा ।

नकुल सुबोध फूँक मणिपुष्पक

सहदेवानुज ने हुंकारा ।।16।।

फिर रथी शिखंडी,धृष्टद्युम्न

सात्यकि अजेय,राजा विराट ।

बलवान धनुर्धर काशिराज,

गूँजे शंखों के स्वर कपाट।।17

संजय बोले हे महाराज,

द्रुपद अब शंखनाद कर रहे ।

अभिमन्यु वीर सानुज करते,

घनघोर शंख ध्वनि सस्वर रहे ।।18 ।।


💥

सुन तुमुलनाद गुंजार प्रबल ,

कंपित दिगन्त,आकाश,भुवन ।

करता विदीर्ण कौरव दल के

साहस को शंखनाद गहन ।।19 ।।

धृतराष्ट्र सुत सब युद्ध क्षेत्र

बन प्रतिद्वन्दी तैयार खड़े।

रथ को ले चलें मध्य में अब ,

केशव से अर्जुन बोल पड़े।।20-21।।

मेरी इच्छा यह देख सकूँ ,

आये हैं कौन युद्ध करने ।

मैं भी तैयार करूँ मन को ,

गांडीव हाथ में लूँ अपने ।।22।।

धृतराष्ट्र सुतों की इस मति को ,

बहकाने वाले कौन यहाँ ।

युद्धभूमि को हे श्री केशव ,

उकसाते लाते समर जहाँ ।।23।।

संजय बोले धृतराष्ट्र सुनो ,

केशव रथ आगे ले आए ।

कर दिया मध्य में संस्थापित ,

हर दृश्य पार्थ को दिखलाए ।।24।।

कह रहे कृष्ण अब अर्जुन से,

युद्धातुर कौरव सैन्य देख ।

गुरु द्रोण,पितामह भीष्म,स्वजन ,

हे कुंती नंदन स्वयं पेख ।।25।।


चाचा,पितामह,आचार्य, मामा,

पुत्र पौत्र व मित्रजन ससुर अरे ।

देख युद्ध में अपने परिजन को,

शोकाकुल ग्लानि सेअर्जुन भरे।।

26-27।।

💥

अर्जुन बोल पड़े माधव से,

मेरे अंग-अंग शिथिल पडे ।

अपने स्वजन को देख उद्यत ,

अंतः ग्लानि मुँह बाये खड़े।।28।।

💥

काँप रहा सबल अंग सारा ,

रोमांचित भरता जाता मन ।

गाण्डीव गिर रहें कंधों से ,

द्रवित हृदय पाता व्याकुल तन ।।29।।

💥

अब खुद को रोकना चाहता,

मैं खड़ा असमर्थ दुर्बल पाता ।

अपशकुन सोच मन घूम रहा हैं ,

अपनी पीड़़ा में भरता जाता ।।30।।

💥💥💥💥💥💥

---- व्यंजना आनंद

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🌹सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक🌹"""""""""""""""""""""""शरद ऋतु करे आगमन, मन होए उल्लास ।जूही की खुशबू उड़े, पिया मिलन की आस।।आस किसी की मैं करूँ , जो ना आएं पास ।नित देखू राह उसकी, जाता अब विश्वास ।।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹व्यंजना आनंद ✍

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शरद ऋतु

10 अक्टूबर 2019
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🌹सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक🌹"""""""""""""""""""""""दस्तक देती शरद ऋतु , मन मुखरित उल्लास ।जूही की खुशबू उड़े, पिया मिलन की आस।।आस किसी की मैं करूँ , जो ना आएं पास ।बाट निहारें दृग विकल टूट रहा विश्वास ।।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹व्यंजना आनंद ✍

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