💥श्रीमद्भगवद्गीता💥
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* अध्याय 2 *
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संजय बोल --------
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दयायुक्त अश्रुओं से पूर्ण,
नयन में भर अर्जुन हैं खड़े ।
बताने को बातें सम्पूर्ण,
श्री भगवन अब तो बोल पड़े ।।1।।
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ऐसे पल में नहीं शोभती,
मोह से पूर्ण सारी बातें ।
मोह तो करें हैं क्षुद्र पुरुष ,
नरक और अपयश वो पाते ।।2।।
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क्लैब्य भाव को ना अपना तू,
कायरता से पूर्ण यह बात ।
इन कमजोरियों का त्याग कर
युद्ध के लिए खड़ा हो आज ।। 3।।
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अर्जुन बोल रहे माधव से,
पितामह पर न करूँ मैं वार ।
कैसे भेदु अपने गुरु को ,
उन पर कैसे करूँ आघात ।।4।।
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भिक्षा माँग जीना बेहतर ,
गुरु पर वार है पाप बड़ा ।
अर्थ, काम की खातिर होगा
रक्त से लिप्त अपराध बड़ा ।।5।।
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व्यंजना आनंद ✍
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