हाइकु
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1)माँ तू ही तो है-
भू को ढ़के अम्बर
सबसे न्यारी।
2)तेरे उर में-
मिलता है पूर्ण ही
जन्नत मुझे ।
3) सपनों की है-
दुनिया यह सारी
खुले आकाश ।
4)खगों की गूँज-
नहीं है अब बात
कैसी बैचैनी ।
5) कलयुग का-
आतंक चौतरफा
मन व्याकुल ।
6)अश्रु भरे हैं,
घटा फटने वाली
व्याकुल आँखें ।
7) ज़िद है तेरी,
नहीं मिला मुझे तो
पेड़ है सूखे ।
8)जिन्दगी भारी-
उजड़ा चमन है
खत्म हैं ख्वाब ।
9) बेटी निःशब्द -
बाबुल से विदाई
सुना वातास।
10) हौसला साथ-
टिमटिमाते तारे
माँ का आशीष ।
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व्यंजना आनंद (मिथ्या) ✍