मात्रिक- - 16 मात्रा भार
🌷मुक्तक🌷
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हम रुठे है वो भी रुठी।
किस्मत देखों कैसे छूटी ।
जाने कहाँ गये प्यारे दिन,
करते थे हम बातें मीठी।।
ऐसे नहीं प्रेम होता है।
समर्पण से क्रोध खोता है।
ऐसे नहीं टीकती दोस्ती,
वो दोस्त हमेशा रोता है।।
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व्यंजना आनंद ✍