🌹पुनीत छंद 🌹
विधान---मात्रिक, 15 मात्रा
संयोजक- -- 2 2 3 3 2 2 1
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सागर वेग बहुत है धार।
पावन प्रेम परम है सार।।
कैसे बोल रहीं साकार।
प्यारी लगे सहज आचार।।
तुमरी प्रीत करे है धाँव ।
हिय में बसे प्रेम के भाव।।
आकर हमपर कुछ तो वार।
तू बन जा प्रेमी अवतार।।
सब से पावन पारस प्रीत।
उसकी चमक दमक से रीत।।
मन में उठी टीस ले आज।
अब ना कुछ होए है काज।।
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व्यंजना आनंद ✍