नई दिल्ली : दक्षिणी दिल्ली के जगन्नाथ पुरी मन्दिर में शनिवार को भगवान श्रीकृष्ण को 56 व्यंजन ों से तैयार भोग लगाया गया. गौरतलब है की इन व्यंजनों को बनाने वाले सभी रसोइँये उड़ीसा से बुलाये गए थे, जो जन्माष्टमी के दिन से दिल्ली में इन व्यंजनों को बनाने के लिए डेरा डाले हुए थे.
भगवान जगन्नाथ की भक्ति में लीन हुए भक्त
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम को लेकर जबरदस्त श्रद्धालुओं का हुजूम भगवान जगन्नाथ पुरी के दर्शन को लेकर उमड़ी थी. भक्तों की इस भीड़ के बीच मन्दिर में प्रभु श्रीकृष्ण की आरती करा रहे पंडितों ने कोई कोर कसर ऐसी नहीं छोड़ी थी कि किसी को इस बात का अहसास हो सके कि वह उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी में नहीं बल्कि भगवान जगन्नाथ के हौजखास स्थित दिल्ली मन्दिर में आये हों. जिसके चलते लोग मन्दिर में आये अपनी पूरी श्रद्धाभक्ति के साथ भगवान की आरती में लीन दिखाई दिए.
छप्पन किस्म के व्यंजन तैयार करने में लगा दो दिन
शनिवार को आयोजित इस कार्यक्रम के बाद मन्दिर कमेटी द्वारा यहाँ विशाल भंडारे का आयोजन किया गया. इस भंडारे में वही प्रसाद भक्तों को वितरित किया गया, जिसका भोग भगवान जगन्नाथ को लगाया गया था. छप्पन तरह के पकवान वाले इस भंडारे की खास बात यह थी कि दो दिन से लगातार इस उड़ीसा से आये रसोइयों ने तैयार किया था. इस व्यंजन में माल पुआ, अदरक, कई तरह की खीर , सब्जियां और कई तरह की चटनियाँ और कई किस्म के पुलाव, खिचड़ी ही नहीं. ऐसा कुछ बचा ही नहीं था खाने में जो इस भोग में शामिल नहीं किया गया हो.
छप्पन तरह के व्यंजन में क्या है वर्जित ?
मन्दिर में उडी श्रद्धालुओं की भीड़ में उड़ीसा से आये एक भक्त ने 'इंडिया संवाद' से बात करते हुए बताया कि पत्ता गोभी, गोभी और आलू तथा टमाटर का इस्तेमाल भगवान को भोग लगाए जाने वाले तैयार किये गए व्यंजनों में इस्तेमाल नहीं किया जाता है. साथ ही शुद्ध देशी घी में बनाये जाने वाले इस व्यंजन लहसुन और प्याज पूरी तरह से प्रतिबन्धित है. फिलहाल सैकड़ों कि संख्या में आये भक्तों ने इस भंडारे में भगवान जगन्नाथ पूरी का प्रसाद ग्रहण किया.