नई दिल्लीः यूपी में भाजपा की लहर देख दूसरे दलों से जिन नेताओं ने पार्टी में एंट्री की, अब उन्हें खुद टिकट के लाले पड़ गए हैं। इसमें स्वामी प्रसाद मौर्य से लेकर रीता बहुगुणा जोशी जैसे बड़े नेता शामिल हैं। इनकी जनसभाओं में कम भीड़ देख पार्टी के खांटी नेताओं ने बात शीर्ष कमान तक पहुंचा दी है। इसकी भनक लगने पर इन बाहरी नेताओं में बेचैनी है। भाजपा के एक बड़े नेता कहते हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य आए थे भाजपा में चंद्रगुप्त मौर्य बनने, मगर अब स्वामी प्रसाद भी नहीं रह गए। यह वही स्वामी प्रसाद मौर्य हैं, बसपा हुकूमत में जिनका मायावती के बाद दूसरे नंबर के नेता के तौर पर सिक्का चलता था। भाजपा में आने से पहले विधानसभा में बतौर नेता प्रतिपक्ष बसपा की अगुवाई करते थे।
प्रतापगढ़ की रैली में जुटी गिनती की भीड़
स्वामी प्रसाद मौर्य चूंकि रायबरेली से नाता रखते हैं। इस नाते अपने प्रभाव वाले पड़ोसी जिले प्रतापगढ़ में पिछड़े वर्ग की रैली आयोजित की। रैली के पहले ही भीड़ आदि का बंदोबस्त करने के लिए मौर्या ने भाजपा नेता मोती सिंह से फोन पर बात की थी। मोती सिंह ने भी सम्मानजनक भीड़ जुटाने का वादा किया था। जब स्वामी प्रसाद मौर्य रैलीस्थल पर पहुंचे तो वहां पर बमुश्किल से सौ लोग कुर्सियों पर बैठे मिले। बाकी कुर्सियां नदारद थीं। इस पर स्वामी प्रसाद का माथा ठनका और उन्होंने मोती सिंह से कहा कि इतनी कम भीड़ क्यों। तब मोती सिंह ने टका सा जवाब दे दिया-हम तो समझते थे आप बसपा के नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं, पहले आप की रैलियों में भीड़ जुटती थी तो उम्मीद थी कि आपके प्रभाव से यहां भी भीड़ जुटेगी, मगर आपके नाम पर नहीं जुटी तो हम क्या करें।
रीता बहुगुणा भी हैं परेशान
कभी यूपी में कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रहीं रीता बहुगुणा जोशी बदलते सियासी समीकरणों के बीच अब भाजपा के पाले में हैं। कहा जा रहा है कि स्वामी प्रसाद की तरह इन्हें भी टिकट देने के मसले पर अभी निर्णय नहीं हो सका है। पार्टी के एक नेता कहते हैं कि अगर ये नेता चुनाव मैदान में नहीं उतरे तो बैकडोर से इन्हें सदन में घुसाया जा सकता है।