लखनऊः सर्व शिक्षा अभियान के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) ने राज्य सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर मुहर लगाते हुए परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में तैनात शिक्षामित्रों का मासिक मानदेय लगभग तीन गुना करते हुए उसे बढ़ाकर 10 हजार रूपये करने पर सहमति जता दी है।
वहीं उच्च प्राथमिक स्कूलोंमें तैनात अंशकालिक अनुदेशकों के मानदेय को दोगुना करते हुए 17 हजार रूपये प्रति माह करने पर रजामंदी जतायी है। शिक्षामित्रों को अभी 3,500 रूपये और अंशकालिक अनुदेशकों को 8,470 रूपये मासिक मानदेय मिलता है। मानदेय में यह वृद्धि अप्रैल 2017 से लागू होगी।
केंद्र सरकार के इस फैसले से 26,504 शिक्षमित्रों और 30,949 अंशकालिक अनुदेशकों को लाभ होगा।शिक्षमित्रों के लिए स्वीकृत 10 हजार रूपये मानदेय में से तकरीबन 2,300 रूपये कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में जमा करने होंगे।
राज्य सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए पीएबी को 23,686 करोड़ रूपये की कार्ययोजना भेजी थी। इसमें शिक्षमित्रों का मासिक मानदेय बढ़ाकर 10 हजार रूपये और अंशकालिक अनुदेशकों के मानदेय में वृद्धि कर 17 हजार रूपये करने का प्रस्ताव था। 27 मार्च को नई दिल्ली में सर्व शिक्षा अभियान के पीएबी की बैठक में केंद्र ने उत्तर प्रदेश की ओर भेजी गई वार्षिक कार्ययोजना में कटौती करते हुए उसे 21,000 रूपये कर दिया था। पीएबी ने शिक्षमित्रों और अंशकालिक अनुदेशकोंके मानदेय बढ़ाने के प्रस्ताव पर सहमति जतायी थी।
इधर प्रदेश में शिक्षमित्रोंके समायोजन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई पूरी हो गई और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने पक्षकारों को दलीलें दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया है।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 दिसंबर 2015 को उत्तर प्रदेश में एक लाख बहत्तर हजार शिक्षामित्रों का प्राथमिक विद्यालयों के सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन रद कर दिया था, जिसके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार और शिक्षा मित्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे है।
शिक्षामित्रों के मामले में सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति आर्दश कुमार गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने शाम 4ः10 बजे पर शिक्षामित्रों के मामले की सुनवाई के लिए पीठ बैठी।सुनवाई के दौरान शिक्षा मित्रों के वकीलों ने कोर्ट से कहा कि सहायक शिक्षकों के मामले में कोर्ट ने नियुक्त हो चुके शिक्षकों को नहीं छेड़े जाने की बात कही है। इस मामले में भी कोर्ट जिनकी नियुक्ति हो चुकी है उन्हें न छेड़े। शिक्षा मित्रों के पास शैक्षणिक योग्यता के अलावा 17 साल पढ़ाने का अनुभव भी है। इस पर पीठ ने कहा कि वह उन्हें नहीं छेड़ रहे है। शिक्षा मित्रों के वकील सलमान खुर्शीद ने कोर्ट से यह भी कहा कि अगर जरूरी योग्यता की बात है(जैसे टीईटी) तो कोर्ट उन्हें पूर करने के लिए कुछ समय दे सकता है।