जम्मू-कश्मीर के उरी में आतंकी हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा मे पाकिस्तान को घेरने की भारतीय रणनीति कारगर साबित हुई है. इस 'त्रिमूर्ति' टीम में विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर, विदेश सचिव विकास स्वरूप और यूएन में भारतीय राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.
भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 26 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने वाली हैं. ऐसे में पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए न्यूयॉर्क में मौजूद भारत के रणनीतिकार पूरा जोर लगा चुके हैं और यह सफल भी होता दिख रहा है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में अधिकतर देश आतंकवाद मसले पर भारत के रुख से सहमत हैं. महासभा में 90 फीसदी से अधिक देशों ने आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा की. सैयद अकबरुद्दीन के मुताबिक, अब तक यूएन महासभा में 136 देशों के प्रतिनिधि भाषण दे चुके हैं और पाकिस्तान को छोड़कर 135 देशों में से किसी ने भी कश्मीर का जिक्र तक नहीं किया. यानी कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को एक भी देश का समर्थन नहीं मिला.
भारत की 15 देशों के साथ दि्वपक्षीय बातचीत हो चुकी है. साथ ही G-20 और सार्क देशों ने उरी हमले पर भारत से सहानुभूति जताई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने भी संवाददाताओं से कहा था कि भारत दुनिया को बताने में सफल रहा है कि पाकिस्तान किस प्रकार आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है. हमारे कार्य खुद ही सब कुछ बयां कर देते हैं और आप देख सकते हैं कि ये परिणाम दे रहे हैं.