नई दिल्ली : भारत को वर्तमान में दुनिया की सबसे प्रगतिशील अर्थव्यवस्था माना जा रहा है। दुनियाभर के आंकड़े बता रहे हैं कि भारत में अमीरों की तादात बढती जा रही है लेकिन भारत में आज़ादी के बाद से आर्थिक असमानता का मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। इस आर्थिक असमानता की खाई को दूर करने के लिए हमारी सरकारीं दावे भले ही करे लेकिन आज़ादी के 70 साल का सच यही है कि भारत आर्थिक असमानता की दृष्टि से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है।
अमेरिकी संस्था न्यू वर्ल्ड वेल्थ का शोध
सम्पति पर रिसर्च करने वाली संस्था 'न्यू वर्ल्ड वेल्थ' की माने तो रूस के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्थिक असामनता वाला देश है। शोध में कहा गया है कि भारत की 54 प्रतिशत सम्पति कुछ उद्योगपतियों के पास है। दुनिया के 10 अमीर देशों को देखा जाये तो इसमें भारत की सम्पति 5,600 अरब अमरीकी डालर है।
विश्वस्तर पर रूस दुनिया का सबसे ज्यादा आर्थिक असमानता वाला देश है। जहाँ देश की कुल 62 प्रतिशत सम्पति कुछ अमीरों के पास है। न्यू वर्ल्ड वेल्थ की रिपोर्ट की माने तो दुनिया में सबसे ज्यादा आर्थिक समानता वाला देश जापान है जहाँ अरोड़पतियों के पास देश की कुल सम्पति का 22 प्रतिशत धन है। जापान के बाद ऑस्ट्रेलिया में 28 प्रतिशत, अमेरिका 32 प्रतिशत और ब्रिटेन 35 प्रतिशत धन अरबपतियों के पास है।