नई दिल्ली : भोपाल सेन्ट्रल जेल से सिमी के 8 सदस्यों के भाग जाने के बाद भारत में जेलों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि जेलों पर सरकारों के करोड़ों के बजट के बावजूद भी कैदी जेल तोड़कर भागने में कैसे सफल हो जाते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों की माने तो भारत में जेलों से भागने की 83 घटनाएं साल 2011 से 2015 के बीच हो चुकी हैं। आंकड़ों की माने तो इस अवधि में देश की तमाम जेलों से भागने में राजस्थान सबसे आगे रहा जहाँ कुल हुई घटनाओं का 41 फीसदी रहा। जबकि इस मामले में दूसरा नंबर उत्तरप्रदेश का है जहाँ जेल टूटने से 14 घटनाएं हुई।
एनसीआरबी के मुताबिक पिछले दो वर्षों में जेलों से कुल 185 कैदी फरार होने में सफल रहे हैं। साल 2014 में जेल तोड़ने की 16 घटनाओं में 96 और 2015 में ऐसी 26 घटनाओं में 89 कैदी भागने में कामयाब रहे। एनसीआरबी के आंकड़ों की माने तो जेलों में झड़प की सबसे ज्यादा घटनाएं देश की राजधानी दिल्ली में हुई। जहाँ देश भर की जेलों में हुई झड़प का 60 फीसदी हिस्सा है। साल 2011 से 2015 के बीच दिल्ली की जेलों में मारपीट की 501 घटनाएं हुई। जबकि पश्चिम बंगाल में 56, राजस्थान में 82, बिहार में 38 और हरियाणा में 51 मारपीट की घटनाएं हुई।
जेलों पर कुल कितना खर्च
रिपोर्ट के अनुसार देशभर में कुल 1401 जेल हैं जिनकी कैदियों को रखने की क्षमता 3.66 लाख है। जबकि इस वक़्त देश में कुल 4.19 लाख कैदी मौजूद हैं। भारतीय जेलों में 95.7 प्रतिशत कैदी पुरुष हैं जबकि 4.3 प्रतिशत कैदी महिलाएं हैं। इन कैदियों पर कुल खर्च 5157 करोड़ रूपये का है।