नई दिल्ली : पूर्व सैनिक रामकिशन की आत्महत्या के बाद सरकार द्वारा लागू की गई 'वन रैंक वन पेंशन' को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। सरकार जहाँ 90 प्रतिशत लोगों को वन रैंक वन पेंशन से लाभ मिलने की बात कह रही है वहीँ राम किशन जैसे और भी कई लोग हैं जो लाभ न मिलने की बात कह रहे हैं। कई पूर्व सैनिकों का कहना है कि सरकार ने जो योजना लागू की है दरअसल वह वो वन रैंक वन पेंशन है ही नही जसकी वो मांग कर रहे थे।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बुधवार को कहा कि ओआरओपी की मांग को लेकर सुसाइड करने वाले पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल को ओआरओपी के तहत लाभ मिला था। रक्षा मंत्रालय का यह बयान राम किशन के सुसाइड के राजनीति रंग लेने के बाद आया है। हालांकि, मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि ओआरओपी के तहत ग्रेवाल को पूरा लाभ नहीं मिला था, उन्हें थोड़ी कम रकम मिली थी। इसमें हरियाणा भिवानी जिले में एसबीआई बैंक की ब्रांच ने कैल्कुलेशन में गड़बड़ कर दी थी। साथ ही कहा कि सुसाइड करने वाले पूर्व सैनिक ने रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर से घर या ऑफिस मिलने के लिए वक्त नहीं मांगा था।
रक्षामंत्री पर्रिकर ने बुधवार को कहा कि सरकार पूर्व सैनिकों के विकास के लिए समर्पित हैं और सरकार ने इस स्कीम के तहत 5,507.47 करोड़ रुपए बांटे हैं। सरकारी सूत्रों ने बताया कि ओआरओपी में विसंगति पर पूर्व सैनिकों की शिकायतों का हल करना एक प्राथमिकता है और ग्रेवाल की आत्महत्या की गंभीरता से जांच किए जाने की जरूरत है। ग्रेवाल ने टेरीटोरियल आर्मी में छह साल 11 महीने सेवा दी, जिसके बाद वह रक्षा सुरक्षा कोर में रहे। वह ओआरओपी के हकदार थे।