नई दिल्ली: देश के लिए गर्व की बात है। भारतीय मर्चेंट नेवी कप्तान राधिका मेनन को लंदन में अंतर्राष्ट्रीय मैरीटाइम संस्था की तरफ़ से सोमवार को वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया। इस पुरस्कार को पाने वाली राधिका विश्व की पहली महिला हैं।
क्यों मिला अंतर्राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
राधिका ने पिछले साल जून में बंगाल की खाड़ी में आंध्र प्रदेश के समुद्र तट के पास फंसे सात मछुआरों की जान बचाई थी। जिसके कारण उन्हें ये पुरस्कार मिलेगा। दरसल बंगाल की खाड़ी में नाव का इंजन ख़राब हो गया था साथ ही नाव का लंगर छूटने के कारण समुद्र में एक हफ्ते तक फंसा रहना पड़ा। मछुआरों को बचाने के लिए कैप्टन राधिका ने अपनी जान भी जोखिम में डाल दी थी।
राधिका ने उठाया जोखिम
समुद्र के बीच नौ मीटर ऊंची लहरें और 60 से 70 समुद्री मील की गति से बह रही हवाओं से जूझते हुए कैप्टन प्राधिका ने इन सात मछुआरों को बचाने के लिए एक राहत अभियान शुरू करने का निर्देश दिया जिसमें तीन कोशिशों के बाद मछुआरों को पायलट सीढ़ी के ज़रिए उनकी नाव से इस विशाल टैंकर पर चढ़ाया गया।
मछुआरों का बचना मुमकिन नहीं था
संपूर्ण स्वराज टैंकर के द्वितीय अधिकारी ने इन मछुआरों की नाव को ओडिशा के गोपालपुर के तट से 2.5 किलोमीटर दूर देखा था। ये लोग खाना और पानी ख़त्म होने के बाद कोल्ड स्टोरेज की बर्फ़ से गुज़ारा कर रहे थे। राधिका ने बीबीसी वर्ल्ड न्यूज़ टीवी को बताया, “समुद्र में काफ़ी उथल-पुथल मची हुई थी और दो- तीन दिन तक काफ़ी दबाव बना रहा जो कि गहरे दबाव में तब्दील हो गया.” उन्होंने कहा, “ये काफ़ी मुश्किल काम था लेकिन हमें ये करना ही था। क्योंकि अगर हम ऐसा नहीं करते तो मुझे पता था कि इन मछुआरों का बचना मुमकिन नहीं था।”
आपको काम करना आना चाहिए
बहादुरी का सम्मान जीतने वाली पहली महिला होने पर राधिका कहती हैं कि ”अगर आप महिला हैं तो भी आपको पता है कि आपको अपना काम किस तरह करना है। लोग आपकी सराहना करते हैं, आपका सम्मान करते हैं। आप सभी निर्देशों का पालन कर सकते हैं।”