नई दिल्लीः शिवपाल यादव भले ही कभी भतीजे अखिलेश को गोद में लेकर खिलाते रहे हों, मगर सियासत में वे हर बार भतीजे के आगे बौने साबित हुए। छह महीने के भीतर यह तीसरा मौका रहा, जब मुख्यमंत्री बनने के लिए रची शिवपाल की साजिश फेल हो गई। दो पल के लिए मुख्यमंत्री का ताज पहनने की हसरत इस बार तो पूरी होते-होते रह गई। वह भी तब जबकि शिवपाल अखिलेश को पार्टी से बाहर निकलवाने में भी सफल हो गए और सियासी गलियारे में बात उड़ी कि नेताजी शिवपाल को नया सीएम बनाने को राजी हो चुके हैं। साल के आखिरी दिनों में शिवपाल का दांव इतना उल्टा पड़ा कि अब खुद उन्हें ही पार्टी से बाहर निकालने की तैयारी शुरू हो गई है। अखिलेश की मुलायम से मीटिंग के बाद समाजवादी पार्टी की वेबसाइट पर प्रदेश अध्यक्ष के रूप में शिवपाल का नाम भी हटा दिया गया।
2012 में मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए थे शिवपाल
जब 2012 में समाजवादी पार्टी ने बहुमत से सत्ता हासिल की थी तो उस समय सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने खुद को राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित करने के लिए शिवपाल को गद्दी देने की सौंपी थी। मगर, प्रो. रामगोपाल ने शिवपाल को कुर्सी से दूर करने के लिए अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने का सुझाव दिया था। मुलायम से कहा कि शिवपाल मुख्यमंत्री बनने पर पार्टी को हाइजैक कर लेंगे तो आगे बेटे अखिलेश का राजनीतिक भविष्य संकुचित हो जाएगा। यह बात मुलायम को जंच गई थी और उन्होंने अखिलेश को मुख्यमंत्री बना दिया। तब से शिवपाल और अखिलेश की सौतेली मां साधना गुप्ता बेचैन हो उठीं। इसके बाद से जब मौका मिलता तभी अखिलेश के खिलाफ साजिश रची जाने लगी। अमर सिंह इस साजिश की स्क्रिप्ट रचने में अहम भूमिका निभाने लगे। इस साल अगस्त और सितंबर में दो बार लगा कि मुलायम सिंह यादव अब अखिलेश को हटाकर सत्ता शिवपाल को सौंप देंगे, मगर ऐसा हुआ नहीं।
यादव कुनबे में हालिया फूट का घटनाक्रम
- 14 अगस्त को शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी छोड़ने की धमकी दी।
- 15 अगस्त को मुलायम सिंह यादव बोले-अगर शिवपाल ने पार्टी छोड़ी तो टूट जाएगी।
- 12 सितंबर में अखिलेश ने खनन मंत्री गायत्री प्रसाद को हटाया तो कलह और तेज हो चली
- 13 सितंबर को मुलायम सिंह ने शिवपाल को यूपी प्रभारी नियुक्त किया।
- 13 सितंबर को अखिलेश ने शिवपाल के तीन अहम विभाग छीन लिए।
- 13 सितंबर को ही अखिलेश ने शिवपाल के करीबी समझे जाने वाले चीफ सेक्रेटरी दीपक सिंहल को हटा दिया।
- 15 सितंबर को मुलायम ने अखिलेश और शिवपाल के साथ बंद कमरे में बातचीत की।
- 17 सितंबर को अखिलेश, शिवपाल के घर पहुंचे और पार्टी में फूट से इंकार किया।
- 18 सितंबर को शिवपाल को एक बार फिर सभी छीने गए मंत्रालय वापस मिल गए।
- 19 सितंबर को शिवपाल ने पार्टी के राज्य अध्यक्ष की हैसियत से 7 अखिलेश समर्थकों को पार्टी से निष्कासित कर दिया।
- 26 सितंबर को गायत्री प्रजापति की दोबारा अखिलेश की कैबिनेट में एंट्री।
- 27 सितंबर को अखिलेश ने पार्टी से निकाले गए युवा नेताओं का पक्ष लिया।
- 3 अक्तूबर को अमरमणि त्रिपाठी को टिकट देने पर अखिलेश की नाराजगी देखी गई।
- 6 अक्तूबर को मुख्तार अंसारी की पार्टी के सपा में विलय के बाद भी अखिलेश नाराज दिखाई दिए।
- 13 अक्तूबर को अखिलेश ने कहा कि वो अकेले चुनाव प्रचार कर सकते हैं।
- 14 अक्तूबर को मुलायम सिंह यादव ने कहा कि चुनावों के बाद सीएम, विधायकों के द्वारा चुना जाएगा।
- 23 अक्तूबर को अखिलेश ने शिवपाल समेत कुछ अन्य मंत्रियों को बरखास्त कर दिया।
- 28 दिसंबर को सपा सुप्रमों मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की
-29 दिसंबर को सीएम अखिलेश यादव ने अपने समर्थक मंत्रियों और विधायकों वाली उम्मीदवारों की अलग सूची जारी की। इसके सिर्फ 2 ही घंटे बाद शिवपाल यादव ने भी 68 उम्मीदवारों की एक नई सूची जारी कर दी।
-30 दिसंबर को लखनऊ में कई दौर की बैठकों के बाद मुलायम ने कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को छह साल के लिए पार्टी से बाहर किया