मंदसौर : श्रेय लेने की होड़ में मध्यप्रदेश मे शिवराज सरकार के इस तरीके की सोशल मीडिया मे खूब आलोचना हो रही है. मंदसौर के एक सरकारी कॉलेज में एससी और एसटी छात्रों को मुफ्त में बैग बांटे गए हैं. इन पर ‘एस/एसटी स्कीम’ लिखा हुआ है. जिसको लेकर बवाल मचा हुआ है लोगो का कहना है कि ‘एस/एसटी स्कीम’ लिखे होने से भीड़ में यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन सा छात्र सामान्य है और कौन दलित.
जिले के राजीव गांधी पीजी कॉलेज के पीजी और यूजी कोर्स के 600 एससी-एसटी छात्रों में से करीब 250 को यह बैग बांटे गये है. इस बैग में एक कैलकुलेटर, पैन और नोटबुक है. कॉलेज के प्रिंसिपल बीआर नालव्या ने बताया, ‘ये बैग वेलफेयर स्कीम के तहत बंटे हैं, अगर इस पर कुछ लिखा है तो क्या गलत है. अगर कुछ लोगों को इससे दिक्कत है तो मैं इस पर लिखे शब्द मिटा दूंगा. स्कीम का नाम सप्लायर ने लिखा है.’
हाल ही में इस कॉलेज के प्रिंसिपल का पदभार संभालने वाले नालव्या ने बताया कि अगस्त महीने में बैंग बंटने शुरू हुए थे. उन्होंने बताया कि वे अब सुनिश्चित करेंगे कि अब बाकी के बचे हुए बैगों को बांटने से पहले उन पर यह नाम मिटा दें. इन बैगों को लेकर विवाद तब खड़ा हुआ, जब सोशल मीडिया पर इनकी तस्वीरें वायरल होने लगीं.
विपक्ष ने इसको लेकर मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है. मध्यप्रदेश कांग्रेस ने ट्वीट करके कहा, ‘ आरएसएस द्वारा संचालित मध्यप्रदेश सरकार ने साबित कर दिया की वह किस तरह से दलित और आदिवासी विरोधी है. एससी-एसटी वर्ग के छात्रों को जिस तरह से जाति सूचक बस्ते वितरित किये गए वह शर्मनाक है. बच्चों के बस्तों पर जिस तरह से जाति सूचक जानकारी छपवाई गयी है वह भारतीय जनता पार्टी की दलित-आदिवासी विरोधी मानसिकता को उजागर करती है. भाजपा किस तरह से एससी/एसटी को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है यह बस्ता इस बात का प्रमाण है.’