लखनऊ: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के लखनऊ के हालिया दौरे में संध के मुख्यालय जाने और योगी से एकांत वार्ता करने का नतीजा अब सामने आ रहा है। योगी अब किसी भी स्थिति में भ्रष्टाचार अथवा अधिकारियों की काम में लापरवाही को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं। इसके लिये अब उन्होंने खुद ही प्रदेश के जिलों का दौरा और वहीं समीक्षा बैठक करना शुरू कर दिया है। इसी के तहत कल उन्होंने महराजगंज जिले में अपनी समीक्षा बैठक के बाद दो एस.डी.एम. सहित 11 अधिकारियों को निलंबित कर दिया। सात अन्य अधिकारियों के तत्काल तबादले भी कर दिये गये।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, हाल ही में लखनऊ के अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान भाजपाध्यक्ष अमित शाह यहां संध के मुख्यालय भी गये थे। यहां उनको बताया गया कि योगी सरकार के अनेक मंत्री किस तरह भ्रष्टाचार के जरिये काली कमाई में लगे हुए हैं। इससे लोगों में योगी सरकार के खिलाफ बडा गलत संदेश जा रहा है। ऐसी ही शिकायत कई सांसदों ने भी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से की थी। लिहाजा, अमित शाह ने इसे बडी गंभीरता से लेकर मुख्य मंत्री योगी से मंत्रणा की। इसके बाद तय हुआ कि सरकार के हर मंत्री का ओएसडी अब संध और विद्यार्थी परिषद के भरोसेमंद कार्यकर्ता को ही बनाया जायेगा। इसी क्रम में मुख्य मंत्री योगी ने स्पष्ट किया कि अब वह प्रदेश के जिलों का दौरा कर वहीं समीक्षा बैठकें भी कर स्थिति का स्वयं जायजा लेते रहेंगे। महराजगंज का उनका दौरा उनकी इसी योजना के ही तहत था।
खबर है कि मुख्य मंत्री योगी अब अपनी सरकार की नीचे से लेकर ऊपर तक की एक एक चूल को कस देना चाहते हैं। इसी के तहत उन्होंने शासन के वरिष्ठ नौकरशाहों अलग अलग जिलों का प्रभारी बनाकर उन्हें महीने में दो दिन संबंधित जिलों में ही एक एक काम की खुद गहन समीक्षा करने का भी आदेश दिया है। इसके बाद स्वयं मुख्य मंत्री योगी इस बाबत शासन को भेजी गयी उनकी रिपोर्टों का बिंदुवार खुद विश्लेषण कर अपेक्षित कार्रवाई करेंगे। इतना ही नहीं, वह खुद में जिलेवार प्रदेश का दौरा स्थिति का जायजा लेंगे।
बेशक, यह मुख्य मंत्री योगी की धमक का ही नतीजा है कि भ्रष्ट प्रशासनिक तंत्र कांप गया है। इसी के चलते अखिलेश सरकार में बिल्डर कुतुबुद्दीन और तहसील अधिकारियों की मिलीभगत से इलाहाबाद में रेलवे की लगभग 50 करोड की जमीन का घोटाला कर उसकी प्लाटिंग कर बेंच दिये जाने की जांच की रिपोर्ट भी सामने आ गयी है। अखिलेश सरकार में इस जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। लेकिन, योगी के भयवश ही तीन महीने पहले ही सी.आर.ओ. ने इस मामले की जांच पुनः शुरू कर इस तथ्य का खुलासा किया है कि किस प्रकार एक बिल्डर ने 50 करोड रु की रेलवे की 40 बीधा जमीन अपने नाम दर्ज कराकर उसे बेंच दिया था। अभी भी काफी जमीन बेची नही जा सकी है। इस घोटाले की जाच के बाद अब इस बात का खुलासा हुआ है। इस जांच में फूलपुर तहसील के तत्कालीन एस.डी.एम. राजकुमार द्विवेदी और तहसीलदार सहित तहसील के कर्मचारियों ने यह गंदा खेल किया है। लिहाजा, इलाहाबाद मंडल के कमिश्नर आशीष गोयल ने जाच में दोषी पाये गये लोगों के खिलाफ शासन को जानकारी देने के साथ ही बिल्डर सहित सभी दोषियो के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने के आदेश दिये हैं।
इस संबंध में इलाहाबाद मंडल के कमिश्नर आशीष गोयल ने ‘इंडिया संवाद‘ को बताया कि सी.आर.ओ. से करायी गयी जांच में बडे स्तर पर काफी बडे घोटाले का खुलासा हुआ है। उसी के आधार पर लेख पाल से लेकर परगनाधिकारी तक के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इस घोटाले की जानकारी मिलते ही रेलवे के अधिकारियों के भी कान खडे हो गये थे। लिहाजा, उन्होंने ने भी शासन और प्रशासन स्तर पर अधिकारियों को इस बात की जानकारी देकर कडी कार्रवाई की मांग की थी। इलाहाबाद के जिलाधिकारी संजय कुमार ने भी राजस्व परिषद को भेजे गये अपने पत्र में कहा गया है कि दोषी पाये गये लोगों ने रेलवे की जमीन को खुदबुर्द किया है। यह अत्यंत गंभीर आपराधिक कृत्य है। इसलिये इनके खिलाफ कडी से कडी कार्रवाई की जानी चाहिये।
इतना ही नहीं, मुख्य मंत्री योगी प्रदेश के लोकनिर्माण विभाग में हर साल किये जाने वाले अरबों रु के घोटालों को रोकने के लिये बडा सख्त रवैया अपनाया है। इसके लिये उन्होंने महराजगंज में ही एक बार फिर बडी गंभीर चेवावनी के लहजे में कहा है कि यदि बनायी गयी एक साल के अंदर ही सडक टूट गयी, तो संबंधित ठेकेदारों के नाम कालीसूची में डालने के साथ ही विभागीय अधिकारियों के भी खिलाफ बहुत सख्त कार्रवाई की जायेगी। लगता है कि कई सौ करोड रु फुंक दिये जाने केे बाद भी सडकों को गड्ढा मुक्त करने की उनकी घोषणा पर पानी फिर जाने को भी उन्होंने बडी गंभीरता से लिया है।