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भुजंगप्रयात

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भुजंगप्रयात छंदहुई नोट बन्दी ठगा सा जमाना।किसी को रुलाना किसी को हँसाना।।कहीं आँसुओं की झड़ी सी लगी है।कहीं पे खुशी की दिवाली जगी है।।इकट्ठा जिन्होंने किया वित्त काला।उन्हीं का पिटा आज देखो दिवाला।।बसी थी

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