दिल्ली : भारत और फ्रांस के बीच राफेल विमान के सौदे को लेकर आज हस्ताक्षर हो गए. इस सौदे के तहत भारत फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान हासिल करेगा. भारत ने बुधवार को ही इस सौदे को मंजूरी दे दी थी. ये सौदा 7.8 बिलियन यूरो यानि करीब 59 हजार करोड़ का है.
आज इस डील पर भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर और फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां यीव ली ड्रियान ने हस्ताक्षर किए. पिछले 20 साल में यह लड़ाकू विमानों की खरीद का पहला सौदा होगा. इसमें अत्याधुनिक मिसाइल लगे हुए हैं जिससे भारतीय वायु सेना को मजबूती मिलेगी. साल 2018 तक भारत को राफेल विमान मिल जाएंगे.
क्यों खरीदे जा रहे हैं ये विमान?
भारत अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना चाहता है. इसलिए राफेल विमान खरीदे जा रहे हैं. सुरक्षा विशेषज्ञों की मानें, तो इस सौदे से एयरफोर्स और मजबूत होगा. एयरफोर्स के पास 1970 और 1980 के पुराने पीढ़ी के विमान हैं. बीते 25-30 सालों के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है, जब भारत राफेल के रूप में ऐसी टेक्नोलॉजी खरीद रहा है.
क्या है राफेल की खासियत?
राफेल का इस्तेमाल फिलहाल सीरिया और इराक में बम गिराने के लिए किया जा रहा है. राफेल 3 हजार 800 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है. इसकी मदद से एयरफोर्स भारत में रहकर ही पाक और चीन में हमला कर सकती है. राफेल में हवा से जमीन में मार करने वाली स्कैल्प मिसाइलें होंगी.
कब से हो रही थी कोशिश?
साल 2007 से भारत-फ्रांस के लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी कर रहा है. लेकिन सौदा किसी ना किसी कारण से अटका हुआ था. लेकिन पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फ्रांस की यात्रा के दौरान ऐलान किया कि भारत फ्रांस की सरकार से सीधे 36 फाइटर जेट्स खरीदेगा. यूपीए सरकार के दौरान भारत फ्रांस से 126 विमानों का सौदा करना चाहता था. जिसमें से 36 सीधे राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसाल्ट-एवियशन से खरीदने थे और बाकी 90 भारत में तैयार होने थे. लेकिन, पीएम मोदी ने पुराने सौदे को रद्द कर सीधे फ्रांस सरकार से नई डील कर डाली.