पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश में शराबबंदी के बाद से पिछले सात महीने में लोगों की खुशहाली बढ़ने का दावा कर रहे हैं लेकिन शराबबंदी की घोषणा के बाद गांजा की तस्करी में तेजी से इजाफा हुआ है. आर्थिक अपराध इकाई के जानकारी के अनुसार , 2012 में 829 किलो गांजा ही जब्त किया गया था , वहीं 2016 में यह बढ़कर 2200 किलो हो गया. साल 2014 के बाद इसकी तस्करी के धंधे में चार गुणा की बढ़ोतरी हुई है. इओयू की जांच के बाद यह बात सामने आयी है. छानबीन के यह बात सामने आयी है कि राज्य में सबसे ज्यादा गांजा की तस्करी ओडिशा से होती है. इन दिनों एक नया रुट देखने को मिल रहा है, वह नागालैंड से बिहार आने का है. यह रुट पहली बार इस्तेमाल हो रहा हैं.
5 से 6 गुना के मुनाफा का कारोबार
तस्कर कुछ खास रुट से पहले गांजा को 7 दिवों में बने प्वाइंट तक लाते है फिर इसकी तस्करी पूरे राज्य में की जाती है. इस गैंग में शामिल लोग अलग- अलग सेंटरों तक छोटे - छोटे पैकेज में सप्लाई करते हैं. गांजा तस्करी के इस कारोबार मं पांच से छह गुना का मुनाफा होता है, तस्कर गांजा को 12000 से दो हजार रुपये प्रति किलो कि दर से खरीद कर लाते हैं. और बाजार में इसे 5 से 8 हजार रुपये किलो की दर से बेचते हैं. ओडिशा, आंध्रपंद्रेश , पक्ष्चिम बंगाल के जिन स्थानों से यह गांजा आता है, वह सभी नक्सल प्रभावित क्षेत्र हैं और इनकी खेती नक्सलियों के आर्थिक स्त्रोत का मुख्य आधार है. नागालैंड के रास्ते गांजा बिहार लाया जाता है ताकि लंबा रुट होने कि वज़ह से पकड़ में आने की आशंका कम हो जाए.
सात जिलों में ये गैंग करते हैं तस्करी
आरा - सरोज सिंह गैंग
हाजीपुर, छपरा - सरोज सिंह
लखीसराय - को एक गिरोह नहीं
बेतिया और पटना - सभी कुख्यात गिरोह का अपना - अपना नेटवर्क
गोपालगंज- भगत यादव राम ज्ञान यादव, विभूति यादव
इनमें कई तस्कर जेल में हैं या बेल पर छूट चुके हैं. इओयू और स्थानीय जिलों की पुलिस इसके पुर गैंग को उखाड़ने की जुगत में लगी है.