नई दिल्ली : घरेलू झगड़ों से पार्टी की छवि को कमजोर करने के बाद मुलायम बसपा सुप्रीमो मायावती को रोकने के लिए एक बार फिर नींद से जागे हैं. और पिछले 48 घंटों में व्यक्तिगततौर पर मुलायम ने महागठबंधन को फिर से खड़ा करने के भागीरथी प्रयास शुरू कर दिए हैं.
यूपी में बड़ा मोर्चा खड़ा करने की तैयारी में मुलायम
सूत्रों के मुताबिक पिछले 48 घंटों में मुलायम ने लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, चौधरी अजित सिंह से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा तक की सबसे फोन पर बात की है कि सबको एक छतरी के नीचे आना चाहिए. जाहिरतौर पर अगर मुलायम ने गठबंधन दिखकर मजबूती दिखाई है तो वह मायावती के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगा देंगे. मुस्लिम वोट जो सपा कि कमजोर होती छवि के कारण मायावती कि तरफ भाग रहा था. उसका एक बड़ा हिस्सा मुलायम गठबंधन के बहाने अपने पाले में खींचना चाहते हैं.
मुलायम के चरखा दांव से मुस्लिम वोट बंटेगा
गौरतलब है कि मुलायम के इस चरखा दांव मुस्लिम वोट सपा-बसपा में बंटेगा, जिसका लाभ सीधे-सीधे बीजेपी को मिलेगा. इससे पहले बिहार में मुलायम ने गठबंधन से बाहर रहकर जब सपा चुनाव में अकेली कूदी थी तो भी वह मुस्लिम वोट बांटकर बीजेपी को फायदा पहुंचाना चाहते थे. हलांकि बिहार में मुलायम कि राजनीति कामयाब नहीं हुई. क्योंकि सपा का बिहार में कोई जनाधार नहीं है. नतीजतन मुसलमान गठबंधन टूटने के बावजूद नीतीश और लालू के पाले में चले गए .
BJP मुलायम के गठबंधन का उठाना चाहती है लाभ
सूत्रों के मुताबिक गठबंधन बनाने का फायदा बीजेपी को मिलेगा. क्योंकि इस गठबंधन के बनने से मायावती का दलित-मुस्लिम समीकरण ध्वस्त हो जायेगा. जानकर सूत्र बताते हैं कि यूपी में मुस्लिम वोट बैंक काफी अहमियत रखता हैं और अगर वोट सपा-बसपा में बनते तो निश्चित रूप से लाभ बीजेपी को होगा. दरअसल मायावती ने 137 मुस्लिम कन्डीडेटों को टिकट देकर मुस्लिमो को उनका मसीह होने का अहसास कराया है. इसी के चलते मुस्लिम वोट ने मायावती को मजबूत करने का मन बना लिया है. वह मुलायम ,लालू, नीतीश और अजित सिंह को एक मंच पर साथ देखकर असमंजस की स्थिति में पड़ जायेगा. बस इसी स्थिति का बीजेपी लाभ उठाना चाहती है.