नई दिल्ली : पीएम मोदी की केबिनेट ने बुधवार को उस बिल को मंजूरी दे दी, जिसमें किराये की कोख (सरोगेसी) वाली मां के अधिकारों की रक्षा के साथ ही साथ सरोगेसी से जन्मे बच्चों के अभिभावकों को कानूनी मान्यता देने का प्रावधान है. केबिनेट से पास सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2016 मुताबिक अविवाहित पुरुष या महिला, सिंगल, लिव इन में रह रहा जोड़ा और समलैंगिक जोड़े अब सरोगेसी के लिए आवेदन नहीं कर सकते. इसके साथ ही अब सिर्फ रिश्तेदार महिला ही सरोगेसी के जरिए मां बन सकती है.
भारत लोगों के सरोगेसी हब बना था: सुषमा
केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सरोगेसी बिल पर कहा, “आज कल प्रसव पीड़ा से बचने के लिए सरोगेसी फैशन बन गई है. भारत लोगों के सरोगेसी हब बन गया था इसलिए बिल की जरूरत महसूस हुई.” उन्होंने इशारों-इशारों में फिल्मी हस्तियों पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, ”बड़े सितारे जिनके न सिर्फ दो बच्चे हैं, बल्कि एक बेटा और बेटी भी है, वे भी सरोगेसी का सहारा लेते हैं.” स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रस्ताव के मुताबिक किराये की कोख मसौदा विधेयक 2016 का लक्ष्य देश में किराये की कोख संबंधी प्रक्रिया के नियमन को समुचित ढंग से अंजाम देना है.
व्यावसायिक सरोगेसी पर लगा प्रतिबंध
केबिनेट से पास हुए बिल में व्यावसायिक सरोगेसी पर पूरी तरह बैन लगाने का प्रस्ताव है. इसके साथ ही अब सिर्फ रिश्तेदार ही सेरोगेट मां बन सकती है.
जिन माता-पिता के पहले से एक संतान है या उन्होंने एक संतान को गोद लिया है तो वे दूसरी संतान के लिए सरोगेसी का सहारा नहीं ले सकते. देश भर में सरोगेसी के लिए 2000 क्लीनिक हैं. अब सिर्फ भारतीय नागरिक ही सरोगेसी के जरिए बच्चे को जन्म दे सकते हैं.
समलैंगिक जोड़े सरोगेसी के लिए नहीं कर सकेंगे आवेदन
पांच साल से शादीशुदा जोड़े, जिनकी कोई संतान नहीं है वो ही सरोगेसी के लिए आवेदन कर सकते हैं. अविवाहित, सिंगल, लिव इन में रह रहा जोड़ा और समलैंगिक जोड़े सरोगेसी के लिए आवेदन नहीं कर सकते. सरोगेसी के लिए सरोगेसी में उम्र की सीमा भी तय कर दी गई है. इसके मुताबिक पुरुष की उम्र 26-55 साल और महिला की उम्र 25-50 साल होगी. तभी वे सरोगेसी के लिए आवेदन कर सकते हैं. अगर सरोगेसी के लिए आवेदन करने वाला जोड़ा किसी बिमारी से ग्रसित है तो वो आवेदन नहीं कर सकता.
बच्चे को लेने से इंकार करने पर होगी दस साल की सजा
इसके साथ ही एक महिला सिर्फ एक बार ही सरोगेसी के जरिए बच्चे को जन्म दे सकती है. सरोगेसी के जरिए बच्चे को जन्म देने वाली महिला का शादीशुदा होना जरूरी है. इसके साथ ही वह पहले भी एक बच्चे को जन्म दे चुकी हो.
सभी सरोगेसी क्लीनिक का रजिस्टर होना जरूरी है. अगर सरोगेसी के बाद जन्मे बच्चे को अपनाने से इनकार किया जाता है तो उसके लिए बिल में 10 साल की जेल और 10 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है.
सरोगेसी क्लीनिक रखेगा 25 साल पुराना रिकार्ड
सरोगेसी के जरिए पैदा हुए बच्चे को भी सरकार ने वो सभी कानूनी अधिकार दिए हैं, जो सामान्य रूप से पैदा हुए बच्चे के पास होते हैं. सरोगेसी क्लीनिक को पच्चीस सालों का रिकॉर्ड मौजूद रखना होगा. इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में केंद्र पर नेशनल सरोगेसी बोर्ड, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश स्तर तक स्टेट सरोगेसी बोर्ड का गठन किया जाएगा.
सरोगेसी बिल महिलाओं का रोकेगी शोषण
सरकार ने हाल में स्वीकार किया था कि वर्तमान में किराये की कोख संबंधी मामलों को नियन्त्रित करने के लिए कोई वैधानिक तंत्र नहीं होने के चलते ग्रामीण एवं आदिवासी इलाकों सहित विभिन्न क्षेत्रों में किराये की कोख के जरिये गर्भधारण के मामले हुए, जिसमें शरारती तत्वों द्वारा महिलाओं के संभावित शोषण की आशंका रहती है.