थेरेपी की मदद से कई बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। वैसे तो थेरेपी कई प्रकार की होती है लेकिन आपको कौन सी थेरेपी की जरूरत है, यह आपकी समस्या पर निर्भर करता है। मस्तिष्क से लेकर पैर के पंजों तक की परेशानियों को दूर करने के लिए कई प्रकार की थेरेपी मौजूद हैं। therapy meaning है कि शरीर के किसी भाग में होने वाली परेशानियों को सेकाई के मसाज के द्वारा इलाज करना।
1.कपिंग थेरेपी-
यहल एक बहुत ही प्रचलित थेरेपी है और इसे हिजामा के नाम से जाना जाता है। आम तौर पर यह कपिंग थेरेपी दर्द के इलाज के लिए किया जाता है क्योंकि इसके माध्यम से शरीर के अंगों में सूजन और मांसपेशियों में बन रही गांठ को कम किया जाता है। आपको बता दें कि यह थेरेपी बहुत ही आसान तरीके से होती है। इसमें छोटे-छोटे कप को वैक्यूम बनाकर शरीर पर रख देते हैं जो कि स्कीन को अपने अंदर की तरफ खींचता हैं। दर्द से राहत पाने के लिए इस थेरेपी का प्रयाग किया जाता है।
2.रूट कैनाल थेरेपी-
यह मुख्य रूप से दांतो व मसूड़ों से संबंधित परेशानियों के इलाज के लिए किया जाता है, जैसे कि मसूड़ों में सूजन व परत का बैक्टीरिया संक्रमण द्वारा क्षतिग्रस्त होना। इस थेरेपी में संक्रमित पल्प और दांत की जड़ों से नर्व को हटा दिया जाता है और फिर जड़ों की सफाई करके इसे सील कर दिया जाता है।
3.लिथोटिप्सी थेरेपी-
इस थेरेपी का उपयोग पथरी को हटाने के लिए इसके आकार के आधार पर लिथोटिप्सी थेरेपी का प्रयोग करते हैं। इस थेरेपी की प्रक्रिया के दैरान अल्ट्रसाउंड भी किया जाता है जिससे यह पता लगाने में आसानी होती है कि पथरी किडनी के किस तरफ है। लिथोटिप्सी थेरेपी कराने के पहले आपको उन दवाओं के बारे में अपने डॉक्टर को बताना होगा जिसका आप सेवन कर रहे हो क्योंकि कुछ खून को पतला करने बाली दवाएं ऐसी भी होती हैं जो खून के थक्का बनने की क्षमता को कम करती हैं। इस थेरेपी में एनेस्थीसिया के प्रयोग करने के साथ करीब एक घंटे का समय लगता है और शुरू करने से पहले मरीज को बेहोश कर दिया जाता है।
4.अरोमा थेरेपी-
पेड़ पौधों से मिलने वाले तेल का उपयोग शरीर के स्वास्थ्य के लिए करना ही एक प्रकार से अरोमा थेरेपी के नाम से जाना जाता है। इसका उपयोग कई सौ साल से किया जा रहा है और इसका प्रभाव भी बहुत अच्छा देखा जाता है। जिसमें एक अरोमा थेरेपिस्ट प्राकृतिक तेल का उपयोग मरीज को स्नान, भाप दिलाने व मसाज में करता है।
5.काइरोप्रैक्टिक थेरेपी-
इस थेरेपी का प्रयोग नसों, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द के इलाज के लिए किया जाता है। काइरोप्रैक्टिक का मतलब होता है कि रीढ़ की हड्डी के एड्जस्टमेंट, जोड़ों और मुलायम टिश्यू पर हाथों से दबाव डालना।
6.मैग्नेट थेरेपी (magnet therapy in hindi)-
चुंबक थेरेपी की मदद से कई प्रकार के स्केलेरोसिस के कई लक्षणों के इलाज किया जा सकता है। दो प्रकार की मैग्नेट थेरेपी होती है। एक स्थिर विद्युत चुम्बकीय थेरेपी और दूसरी स्पंदित विद्युत चुम्बकीय थेरेपी। इस थेरेपी में चुंबकीय जल पिलाया जाता है जिससे शरीर की कोशिकाओं में गर्मी एवं उष्मा का निर्माण होता है जिससे शरीर में होने वाले दर्द और सूजन से राहत मिलती है।
7.मनोचिकित्सा (psychotherapy in hindi) -
इस थेरेपी के जरिये शरीर के अंदर होने वाली कई समस्याओं का इलाज किया जाता है। जैसे कि न केवल mental illness या mental disorder का इलाज होता है बल्कि social skills को बढ़ाना, नकरात्मक विचारो में बदलाव लाना, व्यवहार में बदलाव लाना, वजन घटाना, नशे से मुक्ति, तनाव और चिंता से छुटकारा पाने के लिए भी यह एक उत्तम उपाय है।
8.टॉकिंग थेरेपी –
इसे स्पिच थेरेपी के नाम से भी जाना जाता है। speech therapy meaning in hindi का मतलब है कि नकारात्मक सोच व मस्तिष्क के तनाव को खत्म करना। टॉकिंग थेरेपी से तनाव को दूर किया जाता है, जैसा कि तनाव एक मानसिक स्थिति है जिसकी वजह से शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। इस थेरेपी में थेरेपिस्ट आपके मानसिक संतुलन को समझकर अपने अनुभव के आधआर पर इसमें सुधार करने के तरीके अपनाता है।