पीलिया क्या है?
पीलिया को आइसीटरस या जांडिस भी कहा जाता है। जो कि त्वचा और स्क्लेरा के पीले रंग को दर्शाता है। त्वचा और स्क्लेरा का रंग बिलीरूबीन रक्त के स्तर के आधार पर बदलता है। बिलीरूबीन पिली त्वचा को भूरे रंग में बदल देते हैं। बिलीरूबीन एक विशेष प्रकार का पीला पदार्थ है जो पीलिया में स्क्लेरा और त्वचा के रंग का कारण बनता है। बिलीरूबीन की मात्रा बढ़ने से पीलिया की समस्या होती है। आपको बता दें कि जब हमारे शरीर में लाल रक्त कणिकाऔं का 120 दिन का चक्कर पूरा होता है तो बिलीरूबीन का निर्माण होता है। kala piliya kaise hota hai इस प्रश्न से लोग काफी परेशान होते हैं, लेकिन हम आपको बताएंगे इसके बारे में।
जब कि बिली एक पाचक पदार्थ है जो लिवर में बनता है और गॉल ब्लेडर में रहता है। बिली हमारे शरीर से मल को बाहर निकालने में मदद करता है। यदि अगर किसी कारण बिलीरूबीन और बिली का सही मेल नहीं हो पाता है या लाल रक्त कणिकाएं चक्र से पहले टूट जाती हैं तो बिलीरूबीन की मात्रा बढ़ जाती है और ऐसे में यह शरीर के दूसरे अंगों में जाकर पीलापन पैदा कर देते हैं और त्वचा पीली दिखाई देने लगती है। कभी-कभी महिलेओं में पीलिया के कारण Irregular Periods होने लगते हैं।
आइए जानें इनके लक्षण
1.रोगी के लीवर में तकलीफ
2.बुखार का होना
3.बेचैनी के साथ भूख कम लगना
4.पेट में दर्द और pregnancy me pet dard बने रहना
5.शरीर का वेट कम होने लगना
6.मूत्र में पीलापन दिखना
7.शरीर में काफी थकावट महसूस होना
8.चिड़चिड़ापन होना
9.पीलिया से बीमार व्यक्ति की त्वचा, आंख व नाखून में पीलापन
पीलिया के कारण-
पीलिया होने का मुख्य कारण होता है लिवर में कमजोरी। जिनका लिवर कमजोर होता है उन्हें पीलिया होने की संभावना ज्यादा होती है। यही मुख्य कारण है कि नवजात बच्चों में पीलिया की समस्या हो जाती है और कभी-कभी इस रोग से पीड़ित महिला में प्रेग्नेंसी के वक्त बच्चे में भी इस रोग के लक्षण आ जाते हैं।
इन सब के अलावा गंदा पानी पीने, बीमार व्यक्ति का खाना खाने से भी लिवर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ज्यादा चिकनी चीजों का सेवन भी पीलिया का काऱण होता है।
पीलिया की जांच- वैसे तो डॉक्टर अपने अनुभव के आधार पर शरीर के पिलेपन को देखकर ही पीलिय़ा का अंदाजा लगा लेते हैं। लेकिन फिर भी इस रोग की पुष्टि के लिए खून की जांच करते हैं, जिसमें बिलिरुबिन टेस्ट, फुल ब्लड टेस्ट (एफबीसी), कम्प्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी), हेपेटाइटिस A,B और C के टेस्ट होते हैं। इसके अलावा अगर डॉक्टर को किसी और समस्या के संकेत मिलते हैं तो वह मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) या पेट का अल्ट्रासाउंड, सीएटी स्कैन या लिवर बायोप्सी कराने की सलाह देता है जिससे ये स्पष्ट किया जा सके कि कहीं मरीज के लिवर में सिरोसिस या कैंसर जैसी बीमारी उत्पन्न तो नहीं हो रही।
पीलिया के निवारण के लिए घरेलु उपाय
1.piliya ka ilaj करने में अरंड के पत्ते बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके पत्तों को पीसकर रस निकाल लें और 3 से 4 चम्मच नियमित रूप से सुबह खाली पेट पियें।
2.जैसा कि हम सब जानते हैं कि योगा किसी बी रोग को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है। प्रतिदिन 15 से 20 मिनट कपालभाति योग करें। जिससे शरीर में ऊर्जा पैदा होगी और पीलिया से राहत मिलेगी।
3.आंक के पौधे के जड़ का आधा ग्राम पाउडर रोज सुबह खाली पेट लें।
4.गन्ने का रस पियें क्योंकि इससे लिवर मजबूत होता है।
5.नारियल का पानी बेहद फायदेमंद होता है। रोजाना कम से कम 3 से 4 नारियल का पानी पियें।
6.जितना हो सके पानी पियें।
7.3 से 4 लहसुन की कली को दूध के साथ लें, इससे जल्द आराम मिलेगा।
8.लौकी के जूस या सब्जी का सेवन करें।
9.jaundice diet के लिए ऑयली चीजों का सेवन न करें।