नई दिल्लीः एक फिल्मी कहावत है तारीख पर तारीख और तारीख तारीख। लेकिन वो तारीख कभी नहीं आती। वजह है अदालतों में जजों की संख्या का कम होना। इस कड़ी में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में जजों के स्वीकृत पदों की संख्या 85 हैं, जबकि वर्तमान में केवल 47 जज कार्यरत हैं। इसका सीधा मतलब ये हुआ कि पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में 38 पद खाली हैं। पदों को भरने के लिए नाम भेजे जाने के बावजूद अभी तक नामों को मंजूरी नहीं मिली है।
काम का बोझ है अधिक
हाईकोर्ट में इससे पूर्व जजों के स्वीकृत पदों संख्या 65 थी, जिसे बढ़ाकर 85 कर दिया गया था। उम्मीद थी कि नए जजों के आने से कार्यरत जजों पर काम का बोझ कम होगा और लंबित मामलों की संख्या घटेगी। मगर स्वीकृत पदों की संख्या तो बढ़ी, लेकिन कार्यरत जजों की संख्या 50 से ऊपर गई ही नहीं। इसके साथ ही कुछ बेंच ऐसी हैं जहां काम का बोझ इतना अधिक है कि दिन भर में करीब 150 से 200 मामलों की सुनवाई की जाती है।
भुगतना पड़ रहा है याचियों को नुकसान
इसका सीधा नुकसान याचियों को भुगतना पड़ रहा है। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस ठकुर ने अपने कार्यकाल के दौरान प्रयास किए थे कि जजों की संख्या को बढ़ाया जाए परंतु ठोस परिणाम नहीं निकले। अब जस्टिस खेहर के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनने के बाद एक बार फिर से हाईकोर्ट को उम्मीद जगी है।