देहरादून : उत्तराखंड में आगामी चुनावों के लिए आज भाजपा ने अपने 70 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। बीजेपी ने अपने सभी मौजूद विधायकों को टिकट दिया है। जैसे कि पहले से ही सबको इस बात का इंतज़ार था कि क्या बीजेपी उत्तराखंड में कांग्रेस से आये बागियों को टिकट देकर एक बड़ा रिस्क मोल लेगी। बीजेपी की चुनावी सूची आने के बाद लोगों के सामने अब साफ हो चुका है कि बीजेपी ने तकरीबन सभी बड़े बागियों को टिकट देने का जोखिम उठा लिया है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि बीजेपी ने सूची जारी होने के दिन पार्टी में शामिल हुए यशपाल आर्य और उनके बेटे को टिकट भी दे दिया है।
पार्टी ने यशपाल आर्य को बाजपुर से और उनके बेटे संजीव आर्य को नैनीताल से टिकट दिया है। वहीं बीजेपी ने पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ बहुगुणा को सितारगंज विधानसभा सीट से टिकट दिया है। पूर्व कांग्रेसी सीएम बिजय बहुगुणा की राजनीति क पारी अब पूरी तरह ख़त्म होती दिखाई दे रही है, इसी लिए वो जाते जाते अपने बेटे का करियर सेट करने में सफल हुए हैं। बीजेपी ने बागी कांग्रेसी नेता हरक सिंह रावत और सतपाल महाराज को भी टिकट दिया है। सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि सतपाल महराज बीजेपी के लिए सीएम के फेस भी हो सकते हैं।
कांग्रेस पार्टी में कई सालों तक सीएम का ख्वाब देखने वाले महाराज के लिए हालाँकि एक नुकसान यह भी हुआ कि उनकी पत्नी अमृता रावत को टिकट नही मिला। सतपाल महाराज को चौबट्टा खाल से टिकट दिया है। बीजेपी ने एक और बागी कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को भी टिकट देकर कोई कोर कसर नही छोड़ी। बीजेपी में टिकटों के बंटवारे के बाद नाराज हुए नेता भी सामने आ सकते हैं। जिसका नुकसान आगामी समय में बीजेपी को उठाना पड़ सकता है।
यह बात तो तय है कि इस बार बीजेपी की रणनीति दिल्ली से बनी। एक दिन पहले जब इंडिया संवाद ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित 21 राजपुर रोड कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय और इससे महज 4 चार किलोमीटर की दूरी पर बलबीर रोड पर स्थित बीजेपी का दफ्तर की पड़ताल की तो नजारा एकदम अलग था। कांग्रेस के दफ्तर में तमाम कार्यकर्ता जुटे थे जो अगले दिन ऋषिकेश में होने वाली राहुल गांधी की मीटिंग से पहले बैनर, पोस्टरों का इंतज़ाम कर रहे थे।जबकि बीजेपी के ज्यादातर नेता दिल्ली के दौरे पर थे और दफ्तर में सन्नाटा पसरा था।
बीजेपी जिन स्थानीय नेताओं के दम पर आजतक उत्तराखंड चुनाव लड़ती वो पूरी तरह गायब हैं। इसके उलट बीजेपी की गले की हड्डी तो बागी नेता अब बन सकते हैं। इन बागियों को लेकर बीजेपी की उलझन इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इनको टिकट देकर बीजेपी के कई टिकट के दावेदार नेता नाराज हो जायेंगे। इन बागियों को लेकर बीजेपी का लालच इसलिए भी है क्योंकि ये अपनी सीटों पर कांग्रेस की ओर से मजबूत प्रत्याशी रह चुके हैं। तमाम चुनावी सर्वे के अगर बीजेपी उत्तराखंड में जीतती नजर आ रही है