देहरादून: उत्तराखण्ड राजनीति के चतुर खिलाड़ी कहे जाने वाले हरीश रावत बीते 50 बरस से सक्रिय राजनीति में हैं, जिसमें वे ज़्यादातर सफल राजनीति का हिस्सा रहे । उत्तराखण्ड की सियासत में जिस वक़्त सियासी घमासान मचा हुआ था उस वक़्त सीएम के तौर पर हरीश रावत ही थे जिन्होनें न केवल कांग्रेस की साख बरक़रार रखी बल्कि सीएम के पद से बर्ख़ास्त होने के बाद जब सत्ता को दोबारा जीवनदान मिला तो हरीश रावत एक नए अवतार में नज़र आए। एक ऐसा हरीश रावत जो बी ते 50 बरसों की अपनी राजनीति में कभी नहीं दिखा। एक ऐसा हरीश रावत जो जिसके साथ पार्टी के नेता भले ही नज़र नहीं आ रहे हों लेकिन सत्ता दोबारा मिलन के बाद हरीश रावत पहले से भी 100 गुना ज़्यादा ताक़त के साथ नज़र आए।
सियासी बिसात में वज़ीर बनते हरीश रावत
दरअसल, जो लोग उन्हें पार्टी और सरकार के अंदर उन्हें अस्थिर करने में लगे हुए थे, हाईकोर्ट के फ़ैसले के बाद सारे मुख़ालफ़ीन खुद ब खुद ध्वस्त होते चले गए। जैसे ही हाईकोर्ट का फ़ैसला हरीश रावत के पक्ष में आया और हरीश रावत दोबार गद्दी में चढ़े तो सभी बाग़ी पराजित होकर अंतत: बीजेपी में चले गए। जिनमें से लगभग सभई को बीजेपी ने टिकट तक दे डाला। हालांकि बाग़ियों के पराजित होते ही इंदिरा ह्रदयेश जैसी दिग्गज नेताओँ को भी हरीश रावत के आगे नतमस्तक होना पड़ा। सूत्रों कि मानें तो प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय अपने अध्यक्ष पद के हवाले से कई बार सीएम रावत से टकराने की कोशिश में लगे रहे जिसके लिए उन्होनें दून से दिल्ली तक सारे प्रयास कर डाले लेकिन आखिर में पार्टी के भीतर चुनाव में टिकट से लेकर रणनीति तक केवल सीएम हरीश रावत की ही चली। राजनीति के माहिर हरीश रावत बेहद शातिर तरीके से दो काम किये, पहले संसाधनो को जुटाकर हर एक विधानसभा के लिए अलग रणनीति बनाई और फिर एक ऐसी बिसात बिछाई जिसमें हर कोई प्यादा नज़र आने लगा और हरीश रावत एक वज़ीर के तौर पर सामने आ गए।
हरीश रावत किस बात के लिए ज़िम्मेदार?
इतिहास गवाह है कि नेतृत्व एक के हांथ में आता है तो वह नेतृत्व सर्वशक्तिमान बन जाता है और फिर उसे पराजित करना नामुमक़िन हो जाता है। हालांकि यह सही है कि जब सही है कि हरीश रावत कांग्रेस के पांच साल की शिथिलता और नाक़ामी के लिए जवाबदेह हैं, यह भी सच है कि हरीश रावत कांग्रेस के उन घपलों के लिए भी ज़िम्मेदार हैं जिनमें कांग्रेस के कुछ और मुख्यमंत्री भी शामिल रहे हैं, यह सही है कि हरीश रावत को छवि का नुकसान हो सकता है लेकिन हरीश रावत ही वह शख़्स हैं जिन्होनें कांग्रेस को उत्तराखण्ड में बचा कर रखा है। हरीश रावत ही वह शख़्स हैं जिसने उत्तराखण्ड में कांग्रस की लाज उस वक़्त बचाई जब हर कोई कांग्रेस की नैया को छोड़ कर जाने में लगा था। वह भी ऐसे समय पर जब कि समूचे देश में कांग्रेस का सफाया हो रहा था उस वक़्त हरीश रावत ने न केवल सरकार को संकट से उभारा बल्कि उत्तराखण्ड में कांग्रेस की अलख को भी जगाए रखा। तो सीएम हरीश रावत ज़िम्मेदार तो हैं किस चीज़ के लिए यह आप तय कीजिये...