नई दिल्लीः ब्रेन ट्यूमर से तिल-तिलकर मरने को मजबूर महिला ने सोचा दिल्ली के एम्स में इलाज से जिंदगी बच जाएगी। मगर, एम्स की संवेदनहीनता देखिए। मरीज को दो साल बाद की तारीख दे दी । इससे परेशान मरीज की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने एम्स को फटकार लगाते हुए दिल्ली और केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है।
महिला मरीज ने कहा-मर गई तो कैसे पलेंगे दो बच्चे
मीरा ने हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में मार्मिक गुहार लगाई। कहा कि वह दो बच्चों की मां है। इलाज समय से न हुआ तो वह मर जाएगी। ऐसे में कैसे बच्चे पलेंगे। यही नहीं पति महज नौ हजार रुपये महीने कमाते हैं। इतने पैसे से परिवार का पेट भरना मुश्किल है, प्राइवेट में इलाज कराने की बात ही छोड़िए।
एम्स ने कहा-जल्दी सर्जरी करानी है तो दो 1.25 लाख
मीरा ने जब एम्स में सर्जरी के लिए अर्जी दी तो उसे अगस्त 2018 की तारीख मिली। जब बीमारी के आखिरी स्टेज में पहुंचने की बात कही तो एम्स का स्टाफ बेरुखी से पेश आया। कहा कि इसके लिए प्राइवेट वार्ड बुक कराना होगा। जिसकी कीमत है 1.25 लाख
एम्स भले ही बचाव में यह कहे कि संसाधनों की तुलना में मरीजों की भीड़ के कारण सर्जरी की डेट लंबी दी गई, मगर मौत से जूझते आखिरी स्टेज पर पहुंचे गरीब मरीजों के लिए कुछ तो रियायत हो ही सकती है।
यह चिकित्सीय पेश की नैतिकता व संवेदनशीलता कहती है।