मुंबईः भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) 11 करोड़ जनधन खातों को अपने ऊपर बोझ मानता है। यही वजह है कि इन खातों के प्रबंधन पर शुल्क लगाने की बात कही जा रही है। बैंक खातों में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर जुर्माना लगाने के अपने फैसले को एसबीआई ने सही ठहराया है। देश के सबसे बड़े बैंक ने कहा है कि उसे शून्य शेष वाले बड़ी संख्या में जनधन खातों के प्रबंधन के बोझ को कम करने के लिए कुछ शुल्क लगाना पड़ेगा।
एक अप्रैल से लागू होंगे नियम
पिछले सप्ताह एसबीआई ने खातों में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर जुर्माने के प्रावधान को फिर लागू करने की घोषणा की थी। इसके अलावा उसने अन्य बैंकिंग सेवाओं पर शुल्कों में भी संशोधन किया था। नए शुल्क पहली अप्रैल से लागू होंगे। सरकारी बैंक को अपने इस कदम के लिए विपक्षी दलों सहित अन्य लोगों की ओर से चौतरफा आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
क्या बोलीं चेयरपर्सन
एसबीआई की चेयरपर्सन अरंधति भट्टाचार्य ने यहां महिला उद्यमियों पर राष्ट्रीय सम्मेलन के मौके पर अलग से कहा, ‘‘आज हमारे उपर काफी बोझ है। इनमें 11 करोड़ जनधन खाते भी शामिल हैं। इतनी बड़ी संख्या में जनधन खातों के प्रबंधन के लिए हमें कुछ शुल्क लगाने की जरूरत है। हमने कई चीजों पर विचार किया और सावधानी से विश्लेषण के बाद यह कदम उठाया है।
एसबीआई की संशोधित शुल्कों की सूची के अनुसार खाताों में मासिक औसत राशि (एमएबी) नहीं रखने पर 100 रुपये तक जुर्माना और सेवा कर लगेगा। महानगरों 5,000 रुपये के एमएबी पर यदि खाते में जमा राशि इसके 75 प्रतिशत से नीचे जाती है, तो यह जुर्माना 100 रुपये जमा सेवा कर होगा।