नई दिल्लीः शिक्षा में साइंस से ग्रेजुएट, मगर दामन पर सैकड़ों हत्याओं का दाग, सिर पर तीन करोड़ 60 लाख का इनाम। 37 वर्षों से पुलिस ढूंढने में नाकाम। इनाम राशि के आधार पर देखें तो जंगलों में छिपा नक्सलियों का यह नेता दाउद से भी खतरनाक है। नाम है गणपति। गणपति ने भी नोटबंदी को लेकर चुप्पी तोड़ी है। फैसले से जुड़ी नीयत की तारीफ करते हुए कहा है कि अगर मोदी सरकार छापे मारकर गरीबों का धन लूटकर अमीर बने धन्नासेठों को जेल में ठूंस दे तो नक्सली हथियार फेक देंगे। हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो सकते हैं। 48 साल के खूनी नक्सल इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी नक्सली नेता
ने सरकार की तारीफ की है।
37 साल से अंडरग्राउंड चल रहा गणपति
वर्ष 1979 में करीमपुर में आखिरी बार कामरेड गणपति को किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में देखा गया। कई नक्सली वारदातों में सैकड़ों लोगों की जान लेने पर जब छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश की सरकार ने गिरफ्तारी के लिए इनाम रखना शुरू किया तो गणपति भूमिगत हो गए। तब से गणपति की लोकेशन आज तक नक्सली हिंसा से जूझ रहे राज्यों की पुलिस तलाश नहीं पाई। जब कभी कोई बयान सार्वजनिक करना पड़ता है तो कामरेड गणपित भरोसेमंद पत्रकारों को इंटरव्यू देता है। गणपति कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) का महासचिव है। यह संगठन अंडरग्राउंड संचालित होता है।
नोटबंदी पर गणपति ने कहा-वेट एंड वॉच करेंगे
सीपीआई(माओवादी) के सूत्रों का कहना है कि संगठन के महासचिव गणपति ने कहा है कि नोटबंदी के असर को करीब तीन महीने तक परखा जाएगा। अगर लगेगा कि नोटबंदी से हकीकत में अमीरों और गरीबों के बीच खाई कम हुई है। इसके साथ ही वादे के मुताबिक मोदी सरकार गरीबों का हक लूटकर अमीर बने धन्नासेठों पर करारा प्रहार करती है तो नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़ने पर विचार करेंगे।
मनमोहन के मुकाबले मोदी को मजबूत पीएम मानता है गणपति
अगस्त में टाइम्स ऑफ इंडिया को गोपनीय रूप से कॉमरेड गणपति ने इंटरव्यू दिया था। नौ अगस्त को Interview with CPI(Maoist) General Secretary Comrade Ganapathy टाइटल से प्रकाशित रिपोर्ट में पहले ही कॉमरेड गणपति मोदी की तारीफ कर चुका है। इंटरव्यू में गणपति ने कहा था कि कमजोर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का स्थान अब मजबूत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ले लिया है। उम्मीद है कि वे अपनी नीतियों से देश में अमीरों और गरीबों की खाई दूर करेंगे।