नई दिल्ली : भारत में होली के कुछ ही दिन बचे हैं और भारतीय बाजार चीन में बनी पिचकारियों से पटे पड़े हैं। कुछ दिन पहले तक भारत में चाइनीज सामान का खूब विरोध हुआ लेकिन साल 2017 में भारत में सबसे ज्यादा निवेश करने वाले देशों में चीन की ही कंपनियां शामिल हैं। साल 2016 के जाते-जाते भारत में चीन की कंपनियों का इन्वेस्टमेंट 6 हजार करोड़ के पार पहुँच गया।
चीन की कंपनी अलीबाबा ने हालही में भारतीय कंपनी पेटीएम में 17.7 करोड़ का इन्वेस्टमेंट किय और भारत के सभी स्टार्टअप्स में सबसे बड़ा इन्वेस्टमेंट चीन की ही कंपनियां कर रही हैं। साल 2016 में चीन की कंपनियों ने भारत में लगभग 150 स्टार्टअप से मुलाक़ात की। साल 2015 में चीनी कंपनियों ने जहा भारत के स्टार्टअप में 1355.6 करोड़ डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया वहीँ साल 2016 में भारत में 87 हजार करोड़ डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया।
ये रहा भारत में चीनी कंपनियों का इन्वेस्टमेंट
भारतीय स्टार्टअप में सरकार का कितना योगदान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को 2015 लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए कहा था कि उन्होंने 'स्टार्टअप्स' के लिए 10,000 करोड़ का फंड रखा है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि इसके जरिये देश में रोजगार उत्पन्न होगा लेकिन इस घोषणा के एक साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी सरकार अभी भी इसके कुल फंड में से मात्र 5.66 करोड़ ही खर्च कर पायी है। अख़बार बिजनेस स्टैंडर्ड को 8 फ़रवरी को भारतीय लघु औद्योगिक विकास बैंक (SIDBI) ने आरटीआई के जरिये ये जानकारी दी।
साल 2016 में 200 से ज्यादा स्टार्टअप हुए बंद
साल 2016 में ही देश में स्टार्टअप का हाल यह रहा कि तकरीबन 212 स्टार्टअप का सफर समाप्त हो गया। इनमे ज्यादातर की समस्या फंडिंग रही। डेटा एनालिटिक्स फर्म ट्रैक्सन (Tracxn) का दावा है कि बंद हुए स्टार्टअप की यह संख्या साल 2015 से 50 फीसदी ज्यादा है। इस लिस्ट में पहला बड़ा नाम किराने की डिलीवरी करने वाले स्टार्टअप पेपर टेप का है। साल 2015 में इस स्टार्टअप ने निवेशकों से सबसे ज्यादा फंडिंग की हासिल की थी।
रिपोर्ट के अनुसार साल 2013 से लेकर साल 2015 में शुरू हुए ज्यादातर स्टार्टअप बंद हो गए। इनमे ऑनलाइन कूरियर वाली पार्शल्ड, लॉन्ड्रिंग सर्विस देने वाली डोरमिंट भी शामिल हैं। देश के सभी बड़े कैपिटल फंड वेंचर स्टाटर्टअप में निवेश करने से कतरा रहे हैं। भारत में 30 प्रतिशत से ज्यादा निवेश करने वाली अमेरिकी टाइगर ग्लोबल ने साल 2016 में को भी निवेश नही किया।