नई दिल्लीः एनडी तिवारी। ऐसा इकलौते नेता जो दो राज्यों के मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे। यूपी के तीन बार और उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने 91 वां जन्मदिन धूमधाम से हल्द्वानी के रामलीला मैदान में समर्थकों के बीच मनाया। समारोह में यूपी व उत्तराखंड के करीबी मंत्री, विधायक और कांग्रेस नेताओं ने हिस्सा लिया। इस मौके पर एनडी तिवारी ने कहा कि रोहित उनकी राजनैतिक विरासत को आगे बढ़ाएंगे। लेकिन अभी उन्होंने यह साफ नहीं किया कि रोहित किस पार्टी से सियासत के मैदान में उतरेंगे। माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में रोहित या तो कांग्रेस नहीं तो सपा के बैनर तले चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। कांग्रेस जहां उनके पिता की पार्टी की सेवा के बदले टिकट दे सकती है वहीं सपा से इसलिए टिकट मिल सकता है क्योंकि तिवारी के मुलायम और अखिलेश से गहरे संबंध हैं ।
चार बार सीएम और देश के विदेश मंत्री रहे एनडी तिवारी
नारायण दत्त तिवारी ने लंबे समय तक राजनीति की। अगर पार्टी उनकी उम्र देख हाशिए पर न डालती तो शायद अब भी वे चुनावी मैदान में कसरत करते देखे जाते। 1925 में नैतीताल के बलूची जिले में जन्म एनडी तिवारी युवावास्था में कांग्रेस से जुड़े। 1947 में जब देश आजाद हुआ उसी साल इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए। बस यहीं से राजनीति में स्थापित होते गए। एक जनवरी 1976 को वे पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। अगले साल जेपी आंदोलन का तूफान उठा तो उन्हें 30 अप्रैल को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। 1986 में तिवारी केंद्रीय विदेश मंत्री रहे। कुल तीन बार यूपी का सीएम रहने का मौका मिला। जब यूपी से पहाड़ को अलग कर उत्तराखंड राज्य बना तो 2002 में एनडी तिवारी पहले मुख्यमंत्री बने। यूपीए सरकार ने 2007 में उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बना्या। काफी बुजुर्ग होने पर जब कांग्रेस ने टिकट देने से इन्कार किया तो एनडी तिवारी नाराज हो गए। जबकि वे बुढ़ापे में भी चुनाव लड़ने की ललक रखते हैं। कहा जाता है कि जब राजीव गांधी की हत्या हुई तो कांग्रेस उन्हें प्रधानमंत्री बनाना
चाहती थी मगर ऐन वक्त पर तिवारी की किस्मत ने दगा दे दिया और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने उनकी तुलना में पीवी नरसिम्हा को पीएम चुन लिया।
डीएनए टेस्ट के बाद रोहित को मानना पड़ा बेटा, बुढ़ापे में उज्जवला से शादी की रस्म निभाई
एनडी तिवारी के उज्जवला शर्मा के साथ अंतरंग रिश्ते रहे। मगर कभी एनडी तिवारी ने पत्नी का दर्जा नहीं दिया। बेटा रोहित पैदा हुए, मगर एनडी तिवारी अपना बेटा मानने से इन्कार करते रहे। जब राजनीति से तिवारी रिटायरमेंट हुए तो विरासत की जंग छिड़ी। तिवारी के निजी सचिव भी संपत्ति पर कब्जा जमाने की कोशिश में रहे तो उज्जवला शर्मा ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर रोहित को एनडी का बेटा बताया। कोर्ट ने डीएनए टेस्ट से मामला सुलझाने की बात कही। पहले तिवारी ने टेस्ट के लिए खून देने से इन्कार किया, कोर्ट सख्त हुए तो एनडी तिवारी और रोहित का डीएनए टेस्ट हुआ जो मैच कर गया।जिसके बाद एनडी तिवारी ने रोहित को अपना बेटा माना और बाद में लखनऊ स्थित अपने पूर्व सीएम आवास पर उज्जवला संग बुढ़ापे में शादी की औपचारिकता पूरी की। तब से एनडी की देखरेख उनकी पत्नी उज्जवला और बेटे रोहित कर रहे हैं।