छंद शक्ति , (मापनीयुक्त मात्रिक) वर्णिक मापनी, 122 122 122 12, लगाला लगाला लगाला लगा"शक्ति छंद"पुरानी दवा है दिखाती असर। चढ़ाती नशा है पिलाके ज़हर।।कभी प्यार की तो कभी बेख़बर।बुलाती बहारें लड़ाती नज़र॥-1 निशाने लगाती नचाती नज़र। बहाने बनाती घूमाती शहर।। बहुत प्यार इसको मिला है मगरनशे को नशा भर पिलाती उम
“छन्द मुक्त काव्य”“शहादत की जयकारहो”जब युद्ध की टंकारहो सीमा पर हुंकार हो माँ मत गिराना आँखआँसू माँ मत दुखाना दिलहुलासूजब रणभेरी की पुकारहो शहादत की जयकारहो।। जब गोलियों कीबौछार होजब सीमा पर त्यौहारहो माँ भेज देना बहनकी राखी अपने सीने कीबैसाखी वीरों की कलाईगुलजार हो शहादत की जयकार हो॥जब चलना दुश्वार