नई दिल्लीः कालाधन को सफेद बनाने में लगे राजनीति क दलों के लिए गुरुवार को बुरी खबर आई। जब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेशी के दौरान चुनाव में कालेधन के इस्तेमाल को रोकने के लिए नाकेबंदी कर दी। अब राजनीतिक पार्टियां किसी व्यक्ति से दो हजार से ज्यादा की रकम कैश में नहीं ले सकती। उन्हें चेक या ड्राफ्ट से ही चंदा लेना होगा। इससे राजनीतिक दलों को चंदे का हिसाब-किताब देने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। क्योंकि चेक या ड्राफ्ट से पेमेंट लेने पर उसका ब्योरा दर्ज रहेगा। इस फैसले से उन दलों के होश उड़ गए हैं, जो कि बेनामी चंदे के लिए बदनाम रहे हैं। खास बात है कि कांग्रेस युवराज राहुल गांधी ने जहां पूरे बजट को बकवास बताया, वहीं राजनीतिक दलों को शुचिता के दायरे में लाने के इस पहल की सराहना भी की। यहां बता दें कि पहले राजनीतिक दलों को 20 हजार से कम चंदे का सोर्स न बताने की छूट थी।
एडीआर की रिपोर्ट खोल चुकी है कालेधन का चिट्ठा
एडीआर की हाल में आई एक रिपोर्ट ने राजनीतिक दलों में चंदे के नाम पर कालेधन के इस्तेमाल की पोल खोली। रिपोर्ट के मुताबिक 11 सालों में यानि साल 2004-05 से 2014-15 के बीच लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों को जो चंदा मिला उसमें 6800 करोड़ रुपए अज्ञात स्त्रोतों से मिला था। इन 11 सालों के दौरान इन सभा पार्टियों को 11 हजार करोड़ रुपए मिले थे। इन 11 सालों के दौरान कांग्रेस को कुल 4000 करोड़ रुपए मिले, जिसमें कि 83 प्रतिशत रुपए अज्ञात स्त्रोतों से आए। वहीं बीजेपी को इन 11 सालों के दौरान 3,273 करोड़ रुपए का चंदा मिला जिसमें से 65 प्रतिशत पैसा अज्ञात स्त्रोतों से आया। वहीं आम आदमी पार्टी ने पिछले तीन सालों यानि कि साल 2013-15 में पार्टी को कुल 110 करोड़ रुपए मिले जिसमें से 57 प्रतिशत पैसा अज्ञात स्त्रोतों से आया।