नई दिल्ली: जयललिता के बाद शशिकला तमिलनाडु की नई मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं . AIADMK की मीटिंग में उन्हें पार्टी विधायक दल का नेता चुन लिया गया. शशिकला नटराजन जयलिलता के निधन के कुछ दिन बाद ही पार्टी की महासचिव बनी थीं. उन्हें सीएम बनाने के लिए ओ पनीरसेल्वम ने प्रस्ताव रखा और सीएम के पोस्ट से खुद इस्तीफ़ा दे दिया.
1. शशिकला से जयललिता की मुलाकात 1980 के दशक में हुई थी. तब वो पार्टी की प्रचार सचिव थीं.
2. शशिकला एआईएडीएमके चीफ जयललिता की सबसे करीबी थीं और जयललिता उन पर बेहद विश्वास करती थीं. करीब तीन दशकों तक दोनों के बीच गहरी दोस्ती रही. कुछ लोग शशिकला को जयललिता की परछाई कहा करते थे.
3. 2011 में शशिकला पर जयललिता को धीमा जहर देकर मारने की कोशिश करने का गंभीर आरोप लगा. आरोप था कि शशिकला जयललिता की हत्या के बाद अपने पति नटराजन को मुख्यमंत्री बनते देखना चाहती थीं.
4. इसके बाद जयललिता ने शशिकला को पार्टी से निकाल दिया और उनसे पूरी तरह दूरी बना ली. हालांकि बाद में शशिकला ने उनसे माफी मांग ली. जयललिता का दिल पिघल गया और उन्होंने शशिकला को माफ कर दिया.
5. शशिकला के महासचिव बनने के बाद सत्ता के दो केंद्र बनने की बात कही जा रही थी. एक ओर सीएम पनीरसेल्वम तो दूसरी तरफ पार्टी महासचिव शशिकला, दोनों ही नेता एक ही थेवर समुदाय से आते हैं और दोनों ही बिना जनाधार वाले नेता हैं, लेकिन सत्ता के दो केंद्र बनने से पार्टी के भीतर कलह मचने की आशंका जताई जा रही थी. हालांकि पनीरसेल्वम ने खुद ही शशिकला का नाम विधायक दल की नेता के तौर पर प्रस्तावित किया.
6. एआईएडीएमके में एक तरफ जहां शशिकला के काफी समर्थक हैं तो दूसरी तरफ उनके विरोधियों की भी कमी नहीं है. जयललिता के निधन के बाद शशिकला को पार्टी की कमान सौंपने की लगाई जा रही अटकलों के बीच भी सोशल मीडिया पर इसे लेकर लोगों ने जबरदस्त विरोध दर्ज कराया था. जयललिता की भतीजी दीपा जयकुमार ने भी शशिकला को अविश्वसनीय इंसान बताया था.
7. अम्मा के अंतिम दर्शन से लेकर शव वाहन तक और फिर उनके अंतिम संस्कार तक शशिकला ही उनके सबसे नजदीक रही थीं.
अम्मा के बाद अब चिनम्मा
शशिकला को राज्य की कमान मिलने संकेत काफी पहले ही मिल गए थे, जब पार्टी की ओर से जारी की गई प्रेस विज्ञप्तियों में उन्हें चिनम्मा (छोटी अम्मा) कहकर संबोधित किया गया है. बता दें कि राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को उनके समर्थक आदर भाव से अम्मा कह कर पुकारते थे. ऐसे में पार्टी द्वारा उन्हें चिनम्मा कहा जाना जयललिता के उत्तराधिकार पर उनके दावे पर मुहर लगाता है.