नई दिल्लीः वह शख्स पार्टी का अदना सा पदाधिकारी भी नहीं है। मगर हैसियत नसीमुद्दीन और सतीश चंद्र मिश्रा से भी बढ़कर है। पार्टी के खजाने का एक रुपया भी बगैर उस शख्स की इजाजत के खर्च नहीं हो सकता। बात कर रहे हैं बसपा सुप्रीमो मायावती के खजांची टमटा जी की। पार्टी में हर बड़ा नेता टमटा जी....टमटा जी कहकर बुलाता है। परिचय के बारे में तफ्तीश करने पर पता चलता है कि मायावती के टमटा जी का पूरा नाम महेश टमटा है। यूं तो यह शख्स बसपा फाउंडेशन का अदना सा कर्मचारी है। मगर पार्टी के पूरे पैसे का हिसाब-किताब टमटा के पास ही रहता है। तिजोरियों की चाबी भी टमटा के पास रहती है। यही वजह है कि नोटबंदी के बाद जब ऊपर से बसपा मुखिया पर शिकंजा कसने का इशारा हुआ तो आजकल इनकम टैक्स के अफसर मायावती के टमटाजी की तलाश करने लगे हैं।
डीजी इन्वेस्टीगेशन लखनऊ से मांगी गई है रिपोर्ट
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट हो या फिर सीबीडीटी। हर केंद्रीय एजेंसियों तक बसपा मुखिया के स्तर से टिकट के बदले तीन से सात करोड़ रुपये प्रत्याशियों से वसूलने की लगातार शिकायते मिलीं। जिस पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस(सीबीडीटी) चेयरमैन ने डीजी इनवेस्टीगेशन इनकम टैक्स लखनऊ से पूरी रिपोर्ट मांगी। जिसके बाद इनकम टैक्स इनवेस्टीगेशन विंग के अफसर बसपा मुखिया के पास चल-अचल संपत्ति का आंकलन करने में जुटे हैं। छानबीन में सामने आया कि महेश टमटा ही पैसे का सारा मामला देखते हैं। ऐसे में केंद्रीय एजेंसियां अब महेश टमटा की तलाश कर रहीं हैं।
तीन दिन में प्रत्याशियों को पैसा वापस कर टमटा ने लगाया ठिकाना
जब आठ नवंबर को नोटबंदी हुई थी, तब दो दिन के अंदर सभी प्रत्याशियों से वसूले गए पैसे वापस कर दिए गए थे। यह सलाह टमटा ने ही बसपा मुखिया मायावती को दी थी। कहा था कि प्रत्याशियों को उनके पुराने नोट वापस कर नई व्यवस्था करने को कहा जाए। तब मायावती के निर्देश पर सभी प्रत्याशी वाहनों से गुपचुप रूप से करोड़ों की कैश लेकर घर गए। कहा जाता है कि क्षेत्र में जनधन खाताधारकों को तलाश कर अब सभी प्रत्याशी कालाधन को सफेद बनाने में जुटे हैं। नए नोटों में पैसे की व्यवस्था होने पर उन्हें फिर बसपा मुखिया को टिकट के बदले तयशुदा तीन से सात करोड़ की धनराशि का चढ़ावा चढ़ाना होगा।
2003 में मायावती पर दर्ज हो चुका है भ्रष्टाचार का मुकदमा
ताज कॉरिडोर मामले से पकड़ में आई मायावती के खिलाफ 18 जुलाई 2003 को विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज हुआ। सीबीआई को जांच पड़ताल से मिले सबूतों के आधार पर उसी साल 5 अक्टूबर 2003 को आरसी नंबर 19-ए के तहत आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में अभियोग दर्ज किया गया।सूत्रों के मुताबिक सीबीआई ने अपनी जांच-पड़ताल में मायावती और उनके कुनबे को कई सौ करोड़ से अधिक की चल-अचल संपत्ति का मालिक होने का अनुमान लगाया है। हालांकि यूपीए सरकार में सियासी सौदेबाजी के चलते तब सीबीआई मायावती के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले सकी थी। 16 सितंबर 2009 को सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए बयान में मायावती पर 90 हजार करोड़ की मालकिन होने का दावा किया था।
सतीश मिश्रा टमटा को बेच चुके हैं करोड़ों का भूखंड
महेश टमटा बसपा के अंदरखाने तब चर्चा में रहे जब उन्होंने पार्टी महासचिव और मायावती के कानूनी सलाहकार सतीश मिश्रा व उनकी बहन आभा अग्निहोत्री के देहरादून स्थित करोडों के भूखंड को बढ़ी हुई धनराशि पर खरीदा। देहरादून में अरबों की अचल संपत्तियां मायावती के भाई आनंद कुमार व उनकी पत्नी के नाम पहले से हैं। समझा जाता है कि मायावती अपने खासमखास टमटा के जरिए बेनामी संपत्तियों पर कब्जा जमाई हुई हैं।
5 साल में अरबपति हो गईं माया
मायावती की ओर से चुनावी हलफनामे को ही आधार मानें तो 2007 में उनके पास 52 करोड़ रुपये थे। 2011 में राज्यसभा सांसद होने के दौरान जो हलफनामा दिया उसमें उनकी संपत्ति बढ़कर 11.64 करोड़ हो चुकी थी। मायावती ने खुद बताया था कि उनके पास 14 करोड़ कैश है। सुरक्षा के लिए अपने पास रिवाल्वर रखती हैं। 95 लाख के डायमंड ज्वेलरी है। कोई गाड़ी नहीं है।