
17 दिसम्बर 2021
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मैं समाजशास्त्र विषय की प्रोफेसर हूं और शब्दों की लड़ियां पिरो कर भावों को व्यक्त करने में विश्वास करती हूं।D
कमोवेश ऐसे हालात कई शहरों में आसानी से दिख जाता है पैसे के आगे इंसानियत बौनी हो जाती है बहुत अच्छी प्रस्तुति
1 जनवरी 2022