रांची : झारखंड के बोकारो में 13 सितम्बर देर शाम गौ मांस के अवशेष फेंके जाने के बाद हुए दंगा को लेकर पुलिस मुख्यालय ने जो रिर्पोट सरकार को भेजी थी, गृह विभाग ने उसे खारिज कर डीजीपी से जबाव तलब किया है कि डीएसपी सुनील कुमार और रजतमणि बाखला को कैसे क्लीन चिट दी गयी. इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचे कि दोनों पुलिस पदाधिकारी दोषी नहीं है. आपको बता दें कि इस मामले रघुवर सरकार में एसडीओ को निलंबित कर चुकि है .
BJP विधायक विरंची नारायण कर रहे थे जुलूस का र्नेतृत्व
रामनवी के दौरान बोकारो के चास में दंगा हो गया था, डिसी,एसपी ने जो रिपोर्ट सरकार को भेजी थी, उसमें कहा गया था कि रामनवी जुलूस के लिए रास्ता निर्धारित था. रेलवे फाटक की ओर से आनेवाले जुलूस को सिवनडीह होते हुए नया मोड़ के निकट वाले जुलूस सिवनडीह नहीं जाना था. पर जुलूस सिवनडीह जाने लगा. दूसरे गुट के लोगों के इसका विरोध किया. इसके बाद हिंसा शुरु हुई. जुलूस का र्नेतृत्व BJP विधायक विरंची नारायण कर रहे थे. डीसी - एसपी ने अपनी रिपोर्ट में दंगा भड़कने के लिए चास के एसडीओ, डीएसपी मुख्यालय और जिम्मेदार ठहराया था. कि इन लोगों के स्तर से जुलूस को नहीं रोका गया.
सच्चाई :झोले से गाय के अवशेष निकलकर रोड़ पर बिखराने के बाद भड़का था दंगा
आपको बता दें 13 सितम्बर शाम साढे सात बजे गुजरात कॅालोनी मोड़ पर अराजक तत्वों ने एक बड़ा झोला फेंका , जो फट गया. उसमें से गाय के अवशेष निकलकर बिखर गए, देखते ही देखते भीड़ इखट्टा हो गई. और दंगा भड़क गया. हाईवे पर टायर जलने और तोड़फेड किए जाने की सूचना पर भारी फोर्स पहुंच गई थी. लेकिन झारखंड पुलिस अपने रिपोर्ट में दंगे की वज़ह कुछ ओर ही बताई थी . जिसके बाद गृह विभाग ने उसे खारिज कर डीजीपी से जबाव तलब किया है