प्रेम के प्रतीक के रूप में ताजमहल की मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है । मिस्र के पिरामिड , चीन की दिवाल, पीसा की झुकी हुई मीनार इत्यादि के साथ ताजमहल को भी दुनिया के सात अजूबों में से एक माना जाता है । सफेद संगमरमर के पत्थर से बनी हुई ये अद्भुत कृति भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में यमुना के किनारे स्थित है । चांदनी रात में तो इसकी खूबसूरती और निखर जाती है । जो भी विदेशी मेहमान भारत आतें हैं , ताजमहल घूमना नहीं भूलते ।
ताजमहल का निर्माण मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी बेगम और प्रेयसी मुमताज की याद में करवाया है । जब भी प्रेम के मिसाल की बात करनी होती है है तो हीर राँझा , लैला मजनूं के साथ साथ ताजमहल की भी याद आती है । ताजमहल ने मुग़ल बादशाह शाहजहाँ को एक बेहतरीन प्रेमी के रूप में स्थापित कर दिया है । जब भी प्रेम की बात करनी होती है तो शाहजहाँ और मुमताज के प्रेम की बात अनायास हीं आ जाती है ।
लेकिन दशरथ मांझी की कहानी जानकर मुझे आश्चर्य होता है कि दशरथ मांझी को एक महान प्रेमी के रूप में याद क्यों नहीं किया जाता है ? एक तरफ दशरथ मांझी है जिन्होंने अपनी पत्नी की याद में पूरा जीवन खपा दिया । दशरथ मांझी का गाँव एक पहाड़ के पीछे था । जब उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई तो उसे नजदीक के शहर के हॉस्पिटल ले जाना पड़ा । पहाड़ को पार करने के अलावा कोई और चारा नहीं था । और कोई दूसरा रास्ता शहर की तरफ नहीं जाता है । पहाड़ को पार करने में काफी समय लगा और इसी दौरान दशरथ मांझी के पत्नी की मृत्यु हो गई ।
दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी की याद में पुरे पहाड़ को तोड़ डाला । आश्चर्य होता है कि केवल एक व्यक्ति ने छेनी और हथौड़ी के बल पर पुरे के पुरे पहाड़ को तोड़कर शहर जाने का रास्ता बना दिया । इस प्रक्रिया में एक बार दशरथ मांझी को सांप ने काट लिया था । स्वयं को सांप के जहर से बचाने के लिए उन्होंने अपने पैर का अंगुठा तक काट डाला । हालाँकि ये बात अलग है कि इस कार्य में दशरथ मांझी को पूरा जीवन खपाना पड़ा । प्रेम की अद्भुत मिसाल इससे भी बेहतर कोई हो सकती है क्या ?
एक तरफ शाहजहाँ है , जिसकी अनेक बेगमों से एक मुमताज थी , तो दूसरी ओर दशरथ मांझी है जिन्होंने केवल एक शादी की । पत्नी की मृत्यु के बाद दशरथ मांझी ने दूसरी शादी नहीं की । तो इधर शाहजहाँ मुमताज के दुसरे पति थे । शाहजहाँ ने ताजमहल बनने के बाद ताजमहल बनाने वाले मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे ताकि वो ताजमहल जैसा कोई और स्थापत्य की कृति न बना सके , तो दूसरी तरफ दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी की याद में पहाड़ के बीचो बीच सड़क बना दिया ताकि जिस तरह उनकी पत्नी की मौत हो गई थी , किसी दुसरे की पत्नी की मौत ना हो सके । एक तरफ शाहजहाँ है जिसने अपनी पत्नी की याद में जनता के पैसों से ताजमहल बनवाया तो दूसरी तरफ दशरथ मांझी है जिन्होंने अपनी पत्नी की याद में पुरे गाँव वालों के सड़क बना दिया , वो भी पूरा जीवन खपा कर । मेरी नजर में शाहजहाँ का प्रेम दशरथ मांझी के प्रेम की आगे कहीं भी नहीं टिकता ।
अजय अमिताभ सुमन