इस दीवाली सबके हृदय में दया , शांति, करुणा और क्षमा का उदय हो, क्रोध और ईर्ष्या का नाश हो और प्रेम का प्रकाश हो।दीपावली के शुभ अवसर पर सबके शुभेक्षा की कामनाओं के साथ प्रस्तुत है ये कविता" आओ आओ दीप जलाओ।
निज तन मन में प्रीत जगाओ,
अबकी ऐसे दीप जलाओ।
सच का दीपक तेरे साथ हो,
और छद्म ना तुझे प्राप्त हो।
तू निज वृत्ति का स्वामी बन,
मन घन तम ना गहन व्याप्त हो।
तेरे क्रोध पे तेरा जय हो,
तेरे चित्त ईर्ष्या का क्षय हो।
उर में तेरे प्रेम प्रतिष्ठित,
दया क्षमा करुणा अक्षय हो।
जो भी जैसा है इस जग में,
आ जाते जो तेरे डग में।
अगर पैर को छाले देते,
तुम ना दो छाले उन पग में।
जिसका जैसा कर्म यहाँ पर,
जिसका जग में है आचार।
वो वैसे फल के अधिकारी,
जो जैसा कर सब स्वीकार।
जग के हित निज कर्म रचाओ,
धर्म पूण्य उत्थान का।
दीप जलाओ सबके घर में,
शील बुद्ध निज ज्ञान का।
सबको अपना मीत बनाओ,
आओ आओ दीप जलाओ।
अजय अमिताभ सुमन
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