हृदय दान पर बड़े हल्के फुल्के अन्दाज में लिखी गयी ये हास्य कविता है।
यहाँ पर एक कायर व्यक्ति अपने हृदय का दान करने से डरता है
और वो बड़े हस्यदपक तरीके से अपने हृदय दान नहीं करने की वजह बताता है।
हृदय दान के पक्ष में नेता,बाँट रहे थे ज्ञान।
बता रहे थे पुनीत कार्य ये, ईश्वर का वरदान।
ईश्वर का वरदान , लगा के हृदय तुम्हारा।
मरणासन्न को मिल जाता है जीवन प्यारा।
तुम्ही कहो इस पुण्य काम मे है क्या खोना?
हृदय तुम्हारा पुण्य प्राप्त तुमको ही होना।
हृदय दान निश्चय ही होगा कर्म महान।
मैने कहा क्षमा किंचित पर करें प्रदान।
क्षमा करें श्रीमान ,लगा कर हृदय हमारा।
यदि बूढ़े नेे किसी युवती पे लाईन मारा ।
तुम्ही कहो क्या उस बुढ़े का कुछ बिगड़ेगा?
हृदय हमारा पाप कर्म सब मुझे फलेगा।
अजय अमिताभ सुमन:सर्वाधिकार सुरक्षित