मैंने ये कविता आदमी और कुत्तों के व्यवहार को ध्यान में रखते हुए लिखी है. मैंने देखा कि ईश्वर कुत्ते को स्वतन्त्र निर्णय लेने की शक्ति से वंचित रखा हुआ है. जबकि आदमी के पास स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता है. इस कारण से कुत्ता अपने स्वभाव के अनुसार हीं कोई कार्य करता है. जबकि इन्सान के पास स्वतंत्र निर्णय का अधिकार है फिर भी वो उसका दुरूपयोग अपने निहित स्वार्थों के लिए करता है. इस प्रकार यद्यपि इंसान के पास असीमित सम्भावना है , तथापि वो स्वयं को कुत्ते से भी बदतर स्थिति में ला खड़ा कर देता है. तो प्रस्तुत करता हूँ मेरी ये कविता "कुत्ते और इन्सान". आशा करता हूँ ये पाठकगण को पसंद आएगी.
कुत्ते
तीन तरह के होते है,
एक जो दुम हिलाते हैं
आदतन,
कुत्ते जो दुम हिलाते है
वो काटते नहीं
तलवे चाटते नहीं,
दूजे जो तलवे चाटते है
आदतन,
कुत्ते जो तलवे चाटते है
वो दुम हिलाते नहीं
काटते नहीं,
तीजे जो काटते है
आदतन,
कुत्ते जो काटते है
वो तलवे चाटते नहीं
दुम हिलाते नहीं,
और
इन्सान,
दुम भी हिलाते है
तलवे भी चाटते है
काटते भी है,
जरुरतन.
अजय अमिताभ सुमन:सर्वाधिकार सुरक्षित