... बताया जाता है कि नीली क्रांति में देश की नदियों और समुद्र का खासा उपयोग होगा, जो आज तक नहीं हो सका है. हालाँकि, कुछ व्यवहारिक दिक्कतें हैं, जिन पर सरकार को अपना रूख और भी स्पष्ट करना होगा. दिसंबर 2014 से ही नितिन गडकरी जोर लगा रहे हैं कि जल यातायात में नयी सम्भावनाएं जन्म लें, किन्तु अब तक कुछ ठोस आकार लेता नहीं दिख रहा है. तब फिक्की के 87वें सालाना सम्मेलन में नितिन गडकरी ने जल परिवहन को सस्ता सुविधाजनक तथा पर्यावरण के अनुकूल बताते हुए उद्योगपतियों से जल मार्ग विकसित करने में सरकार को सहयोग देने का आह्वान किया था, किन्तु तबसे आज तक डेढ़ साल पूरे हो चुके हैं, किन्तु कुछ ठोस इस मोर्चे पर दिखा नहीं है. हालाँकि, आंकड़ों के अनुसार, भारत में सिर्फ तीन से चार फीसदी जल परिवहन का ही इस्तेमाल हो रहा है, जबकि चीन में 45 प्रतिशत परिवहन जल मार्ग से होता है. जहाँ तक समुद्री मार्ग की बात है, तो वहां फिर भी जल मार्ग से दूसरे देशों के साथ तमाम एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट होता है, किन्तु अगर देश के भीतर जल-यातायात का रेशियो देखें तो यह 'नगण्य' ही है. बांधों, अवैध कब्जों और दूसरी पर्यावरणीय समस्याओं के कारण ... पूरा लेख यहाँ पढ़िए >> http://editorial.mithilesh2020.com/2016/04/blue-revolution-nili-kranti-jal-yatayat.html ]