नई दिल्ली: दलित लड़की की मौत हुई तो गरीबी में कफन भी नसीब नहीं हुआ। मामला मध्य प्रदेश के सतना जिले के इमटा गांव का है। यह गांव मैहर शहर से आठ किमी दूर पर है। गांव एक नीलू नाम की दलित युवती की मौत के बाद उसे सड़क किनारे ही दफना दिया गया क्योंकि उसके परिवार के पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं थे। उनके परिवार की किसी ने इतनी भी मदद नहीं की कि वह लोग अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां खरीद सकें। दलित उत्थान की बाते करने वाला कोई नेता या कोई समाजसेवी संस्था सामने नहीं आई।
परिवार की हालत
यह दलित परिवार एक गरीब परिवार है। इस परिवार में 8 और 14 साल के दो छोटे भाई व माता हैं। कुछ साल पहले ही नीलू के पिता की मोत हो गई थी। गांव में कोई भी लकड़ी के पैसे देने के लिए सामने नहीं आया।
मामले को राजनीति रंग देने की कोशिश
इस मामले को राजनैतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। बताया जा रहा है कि इस गांव के दबंग विनोद पटेल श्मशान घाट पर कब्जा करके पिछले 7-8 साल से खेती कर रहा है। लिहाजा लड़की को सड़क किनारे दफनाना पड़ा। गांववालों के मुताबिक, पिछले साल गांव के रामलाल नामक व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने जब लोग श्मशान घाट पहुंचे, तब उनके साथ मारपीट की गई थी। सरपंच प्रवीण कुमार पटेल के मुताबिक, कुछ दिनों पहले जांच के लिए एसडीएम पहुंचे थे, लेकिन कब्जाधारियों ने पट्टे का अभि लेख प्रस्तुत कर उन्हें लौटने पर विवश कर दिया। अब शासकीय जमीन तलाशी जा रही है।